रिमांड पूरी होने के बाद जेल भेजे गए माफिया ब्रदर्स के हत्यारोपी लवलेश, शनी और अरुण
प्रतापगढ़ (हरिश्चंद्र यादव). माफिया ब्रदर्स (अतीक अहमद और अशरफ) की हत्या के आरोपियों की रिमांड पूरी होने पर रविवार को उन्हे प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया। 15 अप्रैल की रात लगभग साढ़े दस बजे अतीक अहमद और अशरफ को मीडिया व सुरक्षा घेरे के बीच गोलियों से उड़ाने वाले तीनों हत्यारोपियों की रिमांड 19 अप्रैल को अदालत ने मंजूर की थी।
रिमांड के दौरान स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने तीनों आरोपियों लवलेश तिवारी, शनी सिंह और अरुण मौर्य से कई चक्र में अलग-अलग और एक साथ पूछताछ की। एसआईटी और न्यायिक जांच आयोग की टीम ने घटनास्थल पर हत्या का सीन भी रिक्रिएट किया। उस होटल की भी तलाशी ली गई, जिसमें तीनों हत्यारोपियों को ठहराया गया था। चार दिन तक चली लंबी पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों का मेडिकल करवाया गया और सुरक्षा को देखते हुए गोपनीय तरीके से प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया। प्रतापगढ़ जेल में भी तीनों को स्पेशल में रखा गया है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात किए गए हैं।
पुलिस रिमांड के दौरान जांच टीम को इतना पता चला कि अतीक और अशरफ की हत्या में लवलेश, शनी और अरुण के अलावा दो अन्य मददगार भी यहां थे, जिसमें से एक स्थानीय बताया जा रहा है, जबकि एक बाहरी। लेकिन, रिमांड के दौरान की गई पुलिसिया पूछताछ में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि स्थानीय मददगार कौन है। तीनों हत्यारोपी भी यूपी के अलग-अलग जनपदों से हैं। इन तीनों के यहां आने के बाद से यहां ठहराने, माफिया ब्रदर्स की लोकेशन बताने में स्थानीय मददगार ने सहयोग किया।
पुलिस टीम ने खुल्दाबाद में स्थित उस होटल की भी तलाशी ली, जिसमें तीनों हत्यारोपियों को ठहराया गया था, जहां से पुलिस को दो मोबाइल बरामद हुए, लेकिन किसी में भी सिम कार्ड नहीं मिला। पुलिस ने फिलहाल होटल ‘स्टे इन’ के कमरा नंबर 203 को सील कर दिया है। इस होटल से घटना स्थल (काल्विन हास्पिटल) के काफी नजदीक है।
दूसरी तरफ अपने पति अतीक अहमद, बेटे असद और देवर अशरफ के दिवंगत होने के बाद सेही शाइस्ता परवीन का सामने न आना कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। जांच कर रही एजेंसियों की भी आशंकाएं बढ़ रही हैं। बमबाज गुड्डू मुस्लिम का भी कोई सटीक सुराग यूपीएसटीएफ को नहीं मिल पाया है।