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महज 52 दिन में मिट्टी में मिल गई ‘माफियागीरी’, अतीक और अशरफ सुपुर्द-ए-खाक

कसारी-मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा के बीच करवाया गया दफन, तीन हत्यारोपियों को भेजा गया जेल

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). 24 फरवरी, 2023 की शाम लबेरोड उमेशपाल (राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह) और उनके दो सरकारी सुरक्षा कर्मियों के ऊपर की गई ताबड़तोड़ फायरिंग ने माफिया अतीक अहमद के काले साम्राज्य को हमेशा-हमेशा के लिए ध्वस्त कर दिया गया। उमेशपाल हत्याकांड में ही पुलिस रिमांड पर लिए गए माफिया ब्रदर्स अतीक अहमद और अशरफ के ऊपर 15 अप्रैल की रात 10.37 बजे उस समय आटोमेटिक पिस्टल से गोलियां बरसाई गईं, जब वह रूटीन मेडिकल चेकअप के लिए काल्विन हास्पिटल ले जाए जा रहे थे। उस समय माफिया ब्रदर्स पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के बीच थे, इसके अलावा आगे-पीछे मीडिया कर्मियों का जमघट लगा हुआ था। इसी दरम्यान 10.37 बजे मीडिया कर्मी बनकर आए हमलावरों ने महज 18 सेकेंड में ही 1989 से शुरू हुए खूनी सफर (1989 विस चुनाव में शौक इलाही उर्फ चांद बाबा हत्याकांड) का चैप्टर क्लोज कर दिया।

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि यह वही स्थान (काल्विन हास्पिटल परिसर) है, जहां पर जनवरी, 2005 में बसपा के विधायक रहे राजूपाल पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। इस हत्याकांड का भी आरोप अतीक अहमद पर लगा था। फिलहाल, 16 अप्रैल को दिनभर चली गहमागहमी के बीच दोनों का पोस्टमार्टम करवाया गया। पोस्टमार्टम में पता चला कि अतीक अहमद को आठ गोलियां लगी थीं। इस डबल मर्डर के लिए हमलावरों ने कुल 18 राउंड फायर किया था। पीएम रिपोर्ट के मुताबिक अतीक अहमद को कमर, छाती, सिर और गर्दन पर जबकि अशरफ को गले, पीठ, कलाई, पेट और कमर में गोली मारी गई थी।

मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे अतीक अहमद और अशरफ की गोली मारकर हत्या
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रविवार की देर शाम कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों का शव कसारी-मसारी कब्रिस्तान ले जाया गया। जहां पर मरहूम अतीक अहमद के चुनिंदा रिश्तेदारों की मौजूदगी में दोनों शवों का सुपुर्द-ए-खाक करवाया गया। इसमें अतीक अहमद के वह दो नाबालिग बेटे भी शामिल हुए, जिन्हे बाल सुधार गृह में रखा गया है। 24 फरवरी, 2023 को हुई उमेशपाल की हत्या के बाद महज 52 दिन के भीतर अतीक अहमद का सबकुछ खत्म हो गया। दो दिन पहले ही पांच लाख के इनामी बेटा असद झांसी में पुलिस एनकाउंटर में ढेर हुआ था, जबकि 15 अप्रैल को सुबह के वक्त असद को सुपुर्द-ए-खाक किया गया और उसी दिन शाम को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सदा-सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया।

जिस दिन उमेशपाल की हत्या हुई थी, उस दिन किसी ने भी यह नहीं सोचा रहा होगा कि आने वाले दो महीने माफिया अतीक अहमद की माफियागीरी पर कितने भारी पड़ने वाले हैं। फिलहाल, 15 अप्रैल को शहर में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद से जिले को पूरी तरह से छावनी में बदल दिया गया था। सुरक्षा के लिए समीपवर्ती जनपदों से अतिरिक्त फोर्स को तैनात किया गया था। इंटरनेट सेवा पर दिनभर रोक रही। पूरे शहर में दुकानें बंद रहीं। तनावपूर्ण शांति के बीच मिश्रित आबादी वाले इलाके में सुरक्षा व्यवस्था विशेष रूप से टाइट कर दी गई थी। अधिकारी हर समय भ्रमण करते रहे।

अतीक अहमद के पैतृक निवास चकिया समेत करेली, अटाला  जैसे इलाकों को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। हर दूसरे घर के बाहर फोर्स तैनात है। आने जाने वाले लोगों पर नजर रखी जा रही है। इक्का-दुक्का लोग ही घरों के बाहर नजर आ रहे हैं। संदिग्ध नजर आने वाले हर शख्स से पूछताछ की जा रही है। अतीक और अशरफ के शूटआउट के बाद प्रयागराज के बाजारों में भी सन्नाटा पसरा है। सिर्फ रोजमर्रा की जरूरतों वाली दूध-दही और सब्जी की दुकानें व मेडिकल स्टोर ही खुली रहीं।

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