भदोही (संजय सिंह). जिला उपभोक्ता अदालत ने रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंधक को आदेशित किया कि वह क्रय की गई पॉलिसी के तहत परिवादी के पुत्र की चिकित्सा में आए हुए खर्च के रूप में 3.5 लाख रुपये दो माह के अंदर चुकाए। इसके अलावा इस धनराशि पर नौ नवंबर, 2020 से वास्तविक भुगतान की स्थिति तक 9 फीसद वार्षिक साधारण ब्याज भी अदा करें।
आयोग ने बीमा कंपनी को हिदायत दी है कि यदि समय सीमा के अंदर आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो 3.5 लाख रुपया की धनराशि पर ब्याज दर 9% वार्षिक साधारण के स्थान पर 12% वार्षिक साधारण ब्याज अदा करना होगा।
जिला उपभोक्ता आयोग के रीडर स्वतंत्र रावत ने बताया कि कप्तान सिंह पुत्र राजेंद्र बहादुर सिंह (ग्राम कालिक मवैया, कोइरौना, वर्तमान पता नालासोपारा, वेस्ट पालघर, मुंबई) ने प्रबंधक रेलिगेयर को पक्षकार बनाते हुए चार फरवरी, 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि परिवादी के द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी से क्रय किए गए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत पुत्र की चिकित्सा में आए हुए खर्च के रूप में 3.5 लाख रुपया मय 12% ब्याज सहित दिलाया जाए।
परिवादी की ओर से कहा गया कि भदोही स्थित निवास पर प्रताप सिंह के अंगूठे में ट्रैक्टर ट्राली से गंभीर चोट लग गई और फ्रैक्चर हो गया। प्रताप सिंह को तत्काल उपचार की जरूरत को देखते हुए अल्का हॉस्पिटल प्रयागराज (इलाहाबाद) में भर्ती कराया गया। जहां प्रताप सिंह के उपचार और दवा इलाज खर्च में ₹350000 खर्च आया।
वादी के कथन के अनुसार परिवादी का बीमा 10 सितंबर, 2015 से नौ सितंबर 2018 तक प्रभावित था। यह हादसा बीमा पॉलिसी अवधि के अंदर 26 नवंबर, 2017 को हुआ।
उपभोक्ता अदालत द्वारा विपक्षी के नोटिस जारी की गई लेकिन कोई उपस्थित नहीं आया। इस पर मामला एकपक्षीय सुना गया। आयोग के अध्यक्ष संजय कुमार डे, महिला सदस्य दीप्ति श्रीवास्तव, सदस्य विजय बहादुर सिंह की पीठ ने परिवादी की अधिवक्ता की बहस सुनी और पत्रावली का अवलोकन किया।
उपभोक्ता अदालत में परिवादी का मुकदमा आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि बीमा कंपनी दो माह के अंदर परिवादी को बेची गई हेल्थ पॉलिसी इंश्योरेंस के रूप में बीमा की धनराशि 350000 रुपये और नौ प्रतिशत साधारण ब्याज अदा करे।