धनुष टूटते ही लगा जयकारा, जनकसुता ने श्रीराम के गले में डाली वरमाला
चौरी/भदोही (अनंत गुप्ता). रामलीला मैदान चौरी में प्रगति परिषद एवं रामलीला परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रामलीला में धनुष यज्ञ और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन किया गया। मंचन में शिव धनुष टूटते ही खुशियां मनाई गईं। जनकपुर के राज दरबार में सीता स्वयंवर का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। स्वयंवर में देश देशांतर के राजाओं को आमंत्रित किया गया।
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स्वयंवर हॉल में संदेशवाहक ने राजा जनक का संदेश राजाओं को सुनाया कि जो भी शिव धनुष भंग करेगा, उसी के साथ सीता का विवाह होगा। सभी राजाओं ने अपने दमखम का प्रदर्शन किया, लेकिन वे धनुष को हिला तक नहीं सके। यह देख जनक को चिंता हुई और उन्होंने कहा कि यदि मैं जानता कि पृथ्वी वीरों से खाली है तो यह स्वयंवर आयोजित नहीं करता। यह सुन लक्ष्मण तमतमा गए। लक्ष्मण ने कहा कि जिस दिन वीर नहीं होंगे, उस दिन पृथ्वी का अस्तित्व भी नहीं रहेगा।
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अंतत: मुनि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर राम ने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा कर भंग कर दी। धनुष भंग होते ही जनकपुर में खुशी का माहौल व्याप्त हो गया। सीता ने राम के गले में वर माला डाल दी। देवताओं ने पुष्प वर्षा कर मंगल कामना की। कुछ क्षण के बाद फरसा लहराते भगवान परशुराम स्वयंवर हॉल पहुंचे और धनुष तोड़ने वाले के बारे में पूछताछ शुरू कर दी।
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इस दौरान परशुराम और लक्ष्मण के बीच संवाद होता है। अंत में परशुराम को आभास होते ही वे राम को प्रणाम कर तपस्या करने वन को निकल पड़ते हैं। लीला प्रेमियों ने भाव विभोर हो राम के जयकारे लगाए। इस अवसर पर ताड़कनाथ जायसवाल, टुन्ना जायसवाल, मुन्ना सेठ, अभिषेक जायसवाल, वंशराज यादव, भगवती सेठ, बसंत लाल मोदनवाल, राजेंद्र मिश्र, श्यामबिहारी पटेल, नन्हे यादव आदि मौजूद रहे।