पलेवा के लिए भी नहीं मिल रहा पानी, पिछड़ रही बुवाई
समय पर किसानों को पानी उपलब्ध कराने का प्रशासनिक दावा फेल
समय से बुवाई नहीं होने पर प्रभावित होगा रबी की फसलों का उत्पादन
भदोही (अनंत गुप्ता). खेती-किसानी के सीजन में खाद-पानी का संकट न हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। तमाम प्रशासनिक हिदायतों और तैयारियों के बावजूद जनपद के बहुत सारे क्षेत्रों खाद-पानी का संकट बना रहता है। कुछ इसी तरह की समस्या जनपद के विकास खंड भदोही के चौरी क्षेत्र में देखने को मिल रही है। यह इलाका पूरी तरह से नहर के पानी पर निर्भर है। बुवाई का समय हाथ से निकलता जा रहा है और किसान हाथ पर हाथ धरे मायूस बैठा है।
चौरी क्षेत्र से गुजरने वाली ज्ञानपुर नहर प्रखंड की माइनरों में अभी तक पानी नहीं छोड़ा गया है। क्षेत्र की बरवा सुरहन, ममहर आदि माइनरों में पानी नहीं आने से किसान पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कुछेक किसानों ने किसी तरह पलेवा कर बुवाई तो कर दी, लेकिन अब उनके समक्ष सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। पर, किसानों का एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो पलेवा के लिए अभी भी पानी का इंतजार कर रहा है।
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समाजसेवी किसान राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि इन दिनों रबी की फसलों की बुवाई और भराई का कार्य चल रहा है। ऐसे समय में नहर में पानी नहीं छोड़े जने के कारण किसानों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गई है। राजेश कुमार तिवारी समेत स्थानीय किसानों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अवलिंब नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है।
रबी की फसलों की बुवाई के लिए पानी का संकट सिर्फ चौरी क्षेत्र में नहीं है, बल्कि जनपद के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर पानी का संकट बरकरार है। गेहूं की खेती करने वाले किसानों के सामने सिंचाई की विकट समस्या खड़ी हो गई है। किसानों को निजी नलकूप का सहारा लेना पड़ रहा है। जबकि नहर से सटे सैकड़ों बीघा गेहूं फसल का विकास सिंचाई के अभाव में थम गया है। दिसंबर माह का दो हिस्सा गुजर चुका है, बावजूद इसके अभी तक नहों में पानी नहीं छोड़ा जा सका।
नहर से सटे हजारों एकड़ में पलेवा, बुवाई और सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। जहां नहरों में थोड़ा पानी बचा भी है, उसमें कृषक डीजल इंजन लगाकर सिंचाई कर रहे हैं। लालानगर, चकवा, उगापुर समेत कई नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। नलकूप पर निर्भर रहने वाले वाले किसान तो भराई कर ले रहे हैं, लेकिन साधन विहीन किसानोंकी समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।