रमजान का तीसरा अशरा यानी जहन्नम से आजादीः अनवार अहमद
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). मुकद्दस माह रमजान (Ramadan) आखिरी चरण में है। इस माह को तीन भागों में बांटा गया है। पहला दस दिन रहमत, दूसरा दस दिन बरकत और तीसरे दस दिन को मगफिरत यानी जहन्नम से आजादी, का माना जाता है। सामाजिक चिंतक एवं पेशे से शिक्षक अनवार अहमद (Anwar Ahmed) कहते हैं कि रमजान को नेकियों या पुण्य कार्यों का मौसम-ए-बहार यानी वसंत कहा गया है।
इस महीने में अल्लाह की इबादत ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए और अल्लाह को राजी करने वाला काम जैसे गरीब मजलूम जरूरतमंद लोगों की मदद ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। अनवार अहमद ने कहा, जरूरतमंदों की मदद भी ऐसी कि एक हाथ से करें तो दूसरे हाथ को खबर न लगे। मदद ऐसी न हो कि इधर मदद हुई और जैसा कि ट्रेंड चल पड़ा है, उधर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
अनवार अहमद फरमाते हैं कि इस पाक माह में अन्य माह की तुलना में नेकियां अल्लाह पाक ने बढ़ा दी हैं, जिससे इस माह की कदर और भी बढ़ जाती है। रमजान में रोजा रखने का मतलब सिर्फ खाने-पीने से परहेज ही नहीं बल्कि तमाम तरह की बुराइयों से दूर रहने का नाम रोजा है।