पूर्वांचल

आइए, मिलकर साकार करें ग्रीन भदोही का सपनाः आरिफ सिद्दीकी

भदोही (नारंग खान). प्रकृति से उपहार के रूप में मिली प्राकृतिक संपदा की जरूरत तभी महसूस होती है, जब हम संकट में होते हैं या हमें उसकी जरूरत होती है। अक्सर देखा जाता है कि जब किसी का इंतकाल  (निधन) होता है और हम अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान में जाते हैं तो वहां पेड़ों की जरूरत महसूस होती है। हालांकि, बाहर आते ही काम में इतना मशरूफ हो जाते हैं कि सब भूल जाते हैं। नगर के विभिन्न कब्रिस्तान में पेड़ों का अभाव साफ-साफ देखा जा सकता है।

जहां पेड़ नहीं हैं, वहां का तापमान और ज्यादा होता है। पेड़-पौधों की अहमियत भदोही कस्बावासियों उस समय मालूम हुई, जब वह लोग एक जनाजे में शामिल होने पहुंचे थे। दोपहर के वक्त गुलाम ईशापुर स्थित कब्रिस्तान में जब लोग मिट्टी देने गए, उस समय दोपहर दो बजे थे और धूप इतनी तगड़ी थी कि पूछिए मत। पर, गनीमत की बात यह थी कि उस स्थान पर लगे पेड़ काफी राहत दे रहे थे। हवाओं के झोंके रह-रहकर रूह को सुकून दे रहे थे।

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जमुंद वार्ड के सभासद गुलाम संजरी ने बताया कि अब से दस वर्ष पूर्व यहां पेड़ की संख्या काफी कम थी। धूप में लोगों का खड़ा होना मुश्किल था। उस समय तत्कालीन चेयरमैन के द्वारा पौधरोपण अभियान चलाया जा रहा था। यह मसला उन तक पहुंचा तो उन्होंने भी आगे बढ़कर पौधरोपण की अपील की। दस वर्ष पहले चेयरमैन के सहयोग से गुलामईशापुर के कब्रिस्तान में लगवाए गए पौधे आज बड़े दरख्त का रूप ले चुके हैं। इसके बाद पौधरोपण का अभियान अनवरत चलता रहा और यहां पेड़-पौधों की संख्या बढ़ती रही। पौधरोपण अभियान में स्थानीय लोगों का भी भरपूर सहयोग रहा।

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पूर्व पालिकाध्यक्ष आरिफ सिद्दीकी ने कहा कि यहां के कब्रिस्तान के अलावा अन्य कब्रिस्तानों में भी पौधरोपण करवाया गया है, लेकिन आज भी सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की मात्रा पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि एक पेड़ तैयार होने में लगभग सात वर्ष लगते हैं। इसलिए हमारा मानना है कि प्रत्येक वर्ष बारिश के मौसम में सार्वजनिक स्थान, निजी व सर्वजनिक कब्रिस्तान व खुद की जमीन पर बढ़-चढ़कर पौधरोपण व उसका संरक्षण करना चाहिए।

पूर्व पालिका अध्यक्ष ने गुलामईशापुर स्थित जमुंद मोहल्ला वासियों के पर्यावरण संरक्षण के प्रेम की तारीफ की। कहा कि मोहल्लेवासियों की जागरुकता और पर्यावरण संरक्षण के कारण ही आज इस मोहल्ले में पेड़-पौधों की कमी नहीं है। उन्होंने समस्त कस्बावासियों से इस मानसून सीजन में एक-एक पेड़ लगाकर उसका संरक्षण करने की अपील की है।

 

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