उपभोक्ता आयोग का आदेशः दो माह के अंदर आटो वापस करे फाइनेंस कंपनी
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने सुपरक्लाउड प्राइवेट लिमिटेड को आटो रिक्शा (चालू हालत में) प्रतिवादी को लौटाने का निर्देश दिया है। अन्यथा की स्थिति में ऑटो रिक्शा की कीमत 254436 अदा करने का भी फरमान है। आयोग ने अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस और मानसिक प्रताड़ना के लिए सुपर क्लाउड प्राइवेट लिमिटेड पर 15000 का जुर्माना भी लगाया है। आदेश का अनुपालन करने के लिए दो माह का समय दिया गया है।
आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि विपक्षी द्वारा परिवादी को उसका ऑटो रिक्शा चालू हालत में वापस नहीं करता अथवा उसकी कीमत 257436 अदा नहीं करता तो निर्णय की तिथि से 12% वार्षिक साधारण ब्याज भी विपक्षी को अदा करना होगा। जानकारी के मुताबिक ज्ञानपुर के दस्सूपुर निवासी राजमणि पुत्र अलगू ने सुपरक्लाउड प्राइवेट लिमिटेड (हेडआफिस लाजपत नगर, कानपुर) को पक्षकार बनाते हुए 28 अप्रैल, 2022 को शिकायत दर्ज कराई थी।
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वादी के अधिवक्ता गुलाबधर ने बताया कि राजमणि ने पांच जुलाई, 2018 को स्वरोजगार के लिए बजाज शोरूम से ऑटो रिक्शा फाइनेंस कराया था। परिवादी के द्वारा तीन साल के अंदर 36 किश्त में ऋण जमाकरना था। प्रत्येक किश्त 7151 रुपये की तय की गई थी। जिस दिन ऑटो रिक्शा प्राप्त किया, उस दिन वादी ने विपक्षी (सुपर क्लाउड) को 60000 नगद दिए थे। इसी प्रकार विभिन्न तिथियों में परिवादी के द्वारा 26वीं किश्त से 36वें किश्त तक कुल 73965 रुपये विपक्षी को अदा किया।
वादी ने यह समझा कि उसके द्वारा समस्त ऋण की अदायगी की जा चुकी है, परंतु विपक्षी ने अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का सहारा लेकर परिवादी से 50319 रुपये की मांग की, जिसे अदा न करने पर विपक्षी के द्वारा 21 मार्च, 2023 को परिवादी का ऑटो रिक्शा (यूपी66–टी-7836) को गोपीगंज बाजार से जबरन अपने कब्जे में ले लिया।
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जिला उपभोक्ता आयोग की ओर से विपक्षी को नोटिस जारी की गई, जिस पर विपक्षी की ओर से कहा गया कि परिवादी के द्वारा समय-समय पर किश्त की धनराशि अदा की है लेकिन अंतिम रूप से 50319 बकाया था, वह अदा नहीं किया गया है।
जिला उपभोक्ता आयोग की तीन सदस्य पीठ के न्यायाधीश अध्यक्ष संजय कुमार डे, सदस्य दीप्ति श्रीवास्तव और सदस्य विजय बहादुर सिंह ने पत्रावली का अवलोकन करते हुए परिवादी का वाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश में कहा कि विपक्षी के द्वारा परिवादी के साथ सेवा में कमी की गई और परिवादी का ऑटो रिक्शा जबरदस्ती कब्जे में ले लिया गया।
जबकि परिवादी के द्वारा संपूर्ण ऋण की अदायगी की जा चुकी थी। ऐसी स्थिति में परिवादी का ऑटो रिक्शा वापस किया जाना उचित है। जिला उपभोक्ता आयोग ने विपक्षी को आदेश दिया कि वह दो माह के अंदर परिवादी को उसका वाहन ऑटो रिक्शा चालू हालत में वापस करें अथवा परिवादी को विपक्षी द्वारा इस अवधि के अंदर 257436 रुपये अदा करें।