गाय की सेवा से सुख में बदल जाता है दुखः स्वामी विवेकानंद
कोइरौना/भदोही (संजय मिश्र). गाय को हम यूं ही माता का दर्जा नहीं देते। गाय की सेवा अनादि काल से होती आई है। यह भारती संस्कृति का अभिन्न अंग है। घरों में नियमित गाय की पूजा होती रही है। यह बातें हरिद्वार से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ स्वामी विवेकानंद सरस्वती महराज ने कही। उन्होंने कहा, हर घर में गाय का पालन और गाय की सेवा आवश्यक है। बताया कि गाय के रोम-रोम में देवताओं का वास होता है।
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पंचवटी धाम, नगरदह बेरवां, पहाड़पुर में आयोजि शिवशक्ति महायज्ञ में स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने कहा, यदि दुख को सुख में बदलना हो तो सालभर गाय की सेवा कर लो, दुख अपने आप कट जाएगा।
समसामयिक विषय पर बोलते हुए स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज ने कहा, जब बहुएं, सास को मां बना लेंगी, घर में क्लेश नहीं आएगा। जिस घर में शिष्टाचार के साथ शौचाचार का संस्कार होगा, वह घर नहीं मंदिर हो जाएगा। कथा में प्रमुख रूप से भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य एवं पूर्व सांसद भदोही पं.गोरखनाथ पांडेय, लोलारखनाथ आचार्य बृजभूषण महाराज, समाजसेवी श्यामधर मिश्र मिर्जापुरी, जज्जे पांडेय, डा. महेंद्र मिश्र, मातास्वरूप शुक्ल, मदन पांडेय आदि मौजूद रहे।