भक्ति और सत्संग के बिना जीवन अधूराः शिवश्याम महाराज
भदोही (संजय मिश्र). जीव की मुक्ति का मार्ग उसके कर्म ही प्रशस्त करते हैं। प्रारब्ध में जो लिखा है, उसे तो भोगना ही पड़ता है, पर खुद के द्वारा किए गए सद्कर्मों से इस जन्म के साथ-साथ अगला जन्म भी सुधऱता है। विकास खंड डीघ के कुरमैचा गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन आचार्य शिवश्याम महराज ने भक्ति और सत्संग का विस्तार से महत्व समझाया।
आचार्य शिवश्यामजी महाराज ने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि पूरे भक्तिभाव से भगवान का चिंतन करना चाहिए। कथा, सत्संग में भाग लेना चाहिए, क्योंकि इसके बिना जीवन अधूरा है। श्रीकृष्ण प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने (भगवान श्रीकृष्ण) हमेशा भक्तों को भाग्य के साथ कर्म करने की सीख देते थे। फल देना ईश्वर का काम है। कर्म के अनुसार मनुष्य का भाग्य बदलता है।
इसलिए कर्म का फल भगवान पर छोड़ देना सदा श्रेयस्कर रहता है। इसलिए जीवन को सफल बनाने के लिए कर्म के अलावा कोई रास्ता नहीं है। महाराज ने कहा कि अन्न दान, भूमि दान करने से घर में बढ़ोतरी होती है। घर पर कोई संत भिखारी आ जाए उसे दान करें। अपने घर आए अतिथि को देव समझकर सत्कार करना चाहिए, क्योंकि भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों की परीक्षा लेते हैं और उनका कल्याण करते हैं, उनके घर आते हैं।
महाराज शिवश्याम ने कृष्ण जन्म उत्सव पर भी प्रकाश डाला। तत्पश्चात कथा के अंत में आरती प्रसाद ग्रहण किया गया। इस मौके स्वामी रामानंद, वीरेंद्र सिंह सोमवंशी, आत्माराम गिरि, अरविंद सिंह, घनश्याम तिवारी, आशीष सिंह, दिनेश मिश्र, प्रेमशंकर तिवारी, राजकुमारी मिश्रा, सुमन दुबे, रामराज मिश्र, विजयशंकर पांडेय, उमेश पांडेय, कमलेश शर्मा आदि मौजूद रहे।