मिलिए, प्राइमरी के शिक्षक डा. अरुण कुमार त्रिपाठी से, जो पांडुलिपियों का भी संपादन करते हैं
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). भारत भूमि प्रतिभाओं की मोहताज नहीं है। हर जगह, हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का बोलबाला है। आज, शिक्षक दिवस पर हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी ही प्रतिभा डा. अरुण कुमार त्रिपाठी से, जिन्होंने न सिर्फ आदर्श शिक्षक होने का गौरव प्राप्त किया, बल्कि बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नवाचार किए। उन्होंने न सिर्फ अपने जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और भारत सरकार की तरफ से तीन वर्ष तक मॉड्यूल निर्माण का कार्य किया है। डा. त्रिपाठी को सिर्फ पढ़ाई-लिखाई से ही प्यार नहीं है, उन्हे इतिहास के तथ्यों को कुरेदकर सतह पर लाना भी खूब आता है। उनकी इसी इच्छाशक्ति ने उन्हे पांडुलिपियों के संपादन कार्य तक पहुंचा दिया।
छात्रों एवं अध्यापकों के बीच लोकप्रिय डॉ. त्रिपाठी इस समय अनुसूचित जाति बाहुल्य जंगल तथा पहाड़ पर स्थित कठहा बेनीपुर, विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत हैं।
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डा. अरुण कुमार त्रिपाठी प्रयागराज जनपद के आदर्श शिक्षक हैं। ये शिक्षक के साथ-साथ लेखक रेडियो एवं दूरदर्शन पर वार्ताकार तथा स्क्रिप्ट राइटर एवं कवि हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. त्रिपाठी ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक नवाचार किए हैं। डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी राज्य स्तर, जिला स्तर, ब्लॉक स्तर एवं संकुल स्तर पर मास्टर ट्रेनर के रूप में अध्यापकों को सेवारत प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। टेस ऑफ इंडिया के तहत विश्वव्यापी शिक्षण मॉड्यूल कार्यक्रम में डॉक्टर त्रिपाठी ने भारत सरकार की तरफ से 3 वर्ष तक मॉड्यूल निर्माण का कार्य किया है।
पांडुलिपियों को पढ़ना और संपादन है विशेषताः इनकी सबसे बड़ी विशेषता प्राचीन पांडुलिपियों को आसानी से पढ़ लेना एवं उनका संपादन करना है। डॉ. त्रिपाठी ने अब तक कुल 12 पुस्तकें, 48 शोध पत्र एवं 50 से अधिक लेख लिखा है। विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं जनरल में यह सब प्रकाशित हो चुका है। इनकी पहली कृति नल विलास परिशीलन हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज ने प्रकाशित की थी। दूसरी कृति संस्कृत वांग्मय में भौतिक विज्ञान दिल्ली संस्कृत एकेडमी से पुरस्कृत रही है। तीसरी कृति कुंभ महापर्व मेला प्राधिकरण प्रयागराज के सहायता से प्रकाशित कराई गई। नाथ संप्रदाय के सिद्ध योगी नामक ग्रंथ उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत हुई।
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पांडुलिपि गोरक्ष सहस्त्रनाम का किया संपादनः इसके पश्चात नवनाथ, कथा नाथ पंथ की, युवाओं के लिए नाथ पंथ तथा पांच वॉल्यूम में योगी आदित्यनाथ दर्शन दृष्टि विचार वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई। इन्होंने एक प्राचीन पांडुलिपि गोरक्ष सहस्त्रनाम को भी संपादित किया। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 75 जनपद का स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास लिखवाया, जिसमें जनपद गोरखपुर, जनपद महाराजगंज, तथा जनपद सिद्धार्थनगर के स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास डॉ. त्रिपाठी ने लिखा। डॉ. त्रिपाठी को अनेक संस्थाओं ने विविध पुरस्कारों से पुरस्कृत भी किया है।