नौसेना में शामिल हुआ समंदर का महाबलीः भारत को मिला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant
नई दिल्ली (the live ink desk). दो सितंबर, 2022 का दिन भारतीय नौसेना के इतिहास में अमिट अक्षरों में दर्ज हो गया। कोच्चि में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह से स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (विमानवाहक पोत) को भारतीय नौसेना के सुपुर्द कर दिया। भारतीय नौसेना के बेड़े में एक और मजबूत हथियार के रूप में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत में कई गुना बढ़ोतरी होगी। एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल होने से पहले कई कठिन परीक्षणों से गुजरा है।
आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरणः इस स्वदेशी विमान वाहक पोत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण है। स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत में भारी मात्रा में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी लगाई गई है। आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना के इन हाउस वारशिप डिजाइन ब्यूरो डब्ल्यूडीवी द्वारा डिजाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा विक्रांत को अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाओं के साथ बनाया गया है। स्वदेशी विमान वाहक पोत का नाम भारत के पहले विमान वाहक के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बनाने में 500 से अधिक भारतीय कंपनियां शामिलः स्वदेशी विमान वाहक पोत को बनाने में देश की प्रमुख 500 कंपनियों और 100 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं। कोचीन शिपयार्ड में निर्मित आईएनएस विक्रांत भारत के समुद्री इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। भारतीय नौसेना के अनुसार 262 मीटर लंबे जहाज का वजन 40000 टन से भी ज्यादा है। भारतीय नौसेना के अनुसार इसके उपकरणों का निर्माण देश के 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में हुआ है, जिसमें अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे और नई दिल्ली जैसे तमाम राज्य शामिल हैं। यह भारतीय नौसेना के इतिहास का सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका निर्माण कार्य नवंबर 2006 से शुरू किया गया था।
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चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हुआ भारतः बता दें कि भारत 40000 टन वजनी विमान वाहक पोत बनाने के साथ है दुनिया के चंद देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने इतने भारी-भरकम एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण किया है। भारत से पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन ने ही इतने वजन युद्धपोत का निर्माण किया है। अब, भारत भी इस चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया है। आईएनएस विक्रांत के निर्माण में भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड ने उच्च गुणवत्ता वाली स्टील का प्रयोग किया है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर 88 मेगा वाट बिजली की चार गैस टरबाइन द्वारा संचालित है। इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉटिकल मील है। इस जहाज को बनाने में लगभग 20000 करोड़ से अधिक की लागत आई है।
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21500 टन स्पेशल ग्रेड स्टील से हुआ निर्माणः यह स्वदेशी युद्धपोत 262 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा है। इस पर 30 एयरक्राफ्ट को एक साथ कैरी किया जा सकता है। बता दें कि आईएनएस विक्रांत के फ्लाइट डेक का क्षेत्रफल ढाई (2.5) हाकी मैदानों के बराबर है। जो मोटे तौर पर 12500 वर्ग मीटर होता है। स्की जंप से सुसज्जित एक छोटा रनवे और एक लंबा रनवे है। इस जहाज की क्षमता 1750 नाविकों के लिए है। जहाज में 10 हेलीकॉप्टर और 20 फाइटर जेट के लिए पार्किंग की व्यवस्था है। नाइट लैंडिंग के लिए 270 लाइट्स उपलब्ध है। जहाज में महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन है और दो ऑपरेशन थिएटर हैं। यह जहाज 14 मंजिला है। इस वारशिप को बनाने में 21500 टन स्पेशल ग्रेड स्टील का इस्तेमाल हुआ है।
संस्कृत शब्द विक्रांत का मतलब ‘बहादुर’ः आईएनएस विक्रांत में एक बड़ी मेडिकल फैसिलिटी भी है। 16 बेड का अस्पताल, दो ऑपरेशन थिएटर, सीटी स्कैन, लैब और आईसीयू की व्यवस्था है। नौसेना के मुताबिक यह उसकी सबसे बड़ी मेडिकल फैसिलिटी है। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना को दुनिया की टॉप 5 नौसेना में शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। मालूम हो कि संस्कृत में विक्रांत का मतलब बहादुर होता है। इस जहाज को बनाने में 13 साल का लंबा समय लगा है। जहाज के अंदर 2300 कंपार्टमेंट हैं। इस जहाज में समुद्र की ऊंची लहरों का कोई खास असर नहीं होता। विक्रांत नाम से शायद आप वाकिफ भी होंगे। भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का भी यही नाम था। उसे ब्रिटेन की रॉयल नेवी से खरीदा गया था और 1961 में कमीशन किया गया था। 1997 में विक्रांत को डीकमीशन कर दिया गया। इसने कई मिलिट्री ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।