चौथे लोकसभा चुनाव में भी कालीननगरी भदोही को मिलेगा नया चेहरा!

2009 में हुए पहले चुनाव में बसपा से गोरखनाथ पांडेय बने थे सांसद, 2014 में वीरेंद्र सिंह मस्त और 19 में रमेशचंद्र बिंद थे पहली पसंद
भदोही (संजय सिंह). भदोही का लोकसभा चुनाव अब अंतिम दौर में है। आज यानी गुरुवार से ही प्रचार थम जाएगा। कल पोलिंग पार्टियां रवाना की जाएंगी और 25 मई को जिले के एक हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान होगा।
भदोही लोकसभा सीट पर कुल 1169 मतदान केंद्र और इन पर 2084 बूथ बनाए गए हैं। यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 20,18,135 है। इसमें पुरुष मतदाता 10,66,099 है, जबकि महिला मतदाता 9,52,036 और अन्य (थर्ड जेंडर) 177 मतदाता हैं।
2009 के आम चुनाव में अस्तित्व में आई भदोही लोकसभा सीट पर अब तक कुल तीन बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें हर बार नये चेहरे को ही सांसद चुना गया है। 15वीं लोकसभा के लिए साल 2009 में हुए चुनाव की बात करें तो यहां के पहले लोकसभा चुनाव में यहां की जनता ने पंडित गोरखनाथ पांडेय को जिताया था। गोरखनाथ पांडेय ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
इसके बाद साल 2014 में हुआ आम चुनाव यूपीए (कांग्रेस गठबंधन) के हाथ से फिसल गया और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश की जनता ने अपने लिए नया रहनुमा चुना और भदोही लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वीरेंद्र सिंह मस्त चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2014 के चुनाव में कुल 53.54 फीसद वोटिंग हुई थी, जिसमें से 41.10 फीसद वोट (4,03,695 वोट) विजेता वीरेंद्र सिंह मस्त को मिले थे। दूसरे स्थान के लिए बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को कुल मतदान का 25 फीसद और तीसरे स्थान पर सपा की सीमा मिश्रा (पुत्री विजय मिश्र) को 24.30 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था।
इसी तरह 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से वापसी की, लेकिन नये चेहरे के साथ। इस चुनाव में भाजपा ने रमेशचंद्र बिंद को चुनाव मैदान में उतारा था। भदोही की जनता ने भाजपा को पिछली बार की अपेक्षा 7.95 फीसद ज्यादा वोट दिया और रमेशचंद्र बिंद 510029 वोट पाकर विजयी हुए। जबकि दूसरे स्थान पर रहे रंगनाथ मिश्र ने 4,66,414 वोट पाकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी। दिलचस्प यह कि 2019 में बसपा ने जितना वोट पाया था, वह 2014 के विजेता (वीरेंद्र सिंह मस्त) से चार फीसद ज्यादा था।
2024 के आम चुनाव में तीनों नये चेहरे
2024 में फिर चुनावी बिगुल बजा। उम्मीद थी कि भाजपा अपने सिटिंग सांसद या फिर पुराने किसी दिग्गज नेता को टिकट दे सकती थी, लेकिन भाजपा ने फिर से एक नये चेहरे के रूप में डा. विनोद बिंद (Dr. Vinod Bind) को यहां से उतार दिया। ऐसे में यदि भदोही लोकसभा सीट से भाजपा जीत की हैट्रिक लगाती है तब भी भदोही को सांसद के रूप में नया चेहरा ही मिलेगा।
यदि विपक्षी गठबंधन के टीएमसी प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी (Laliteshpati Tripathi) या फिर बसपा नेता हरिशंकर चौहान उर्फ दादा (Harishankar Chauhan) की लाटरी लगती है तो भी वह बतौर सांसद नया चेहरा होंगे।
अलग-अलग लड़ने पर सपा-बसपा थी आगे
काशी और प्रयाग के मध्य स्थित भदोही लोकसभा सीट के चुनावी आंकड़ों की बात करें तो अब तक इस सीट पर तीन चुनाव हो चुके हैं। 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन था, तब भी संयुक्त प्रत्याशी के रूप में रंगनाथ मिश्र को 4,66,414 वोट मिला था। जबकि इसके पूर्व 2014 में अलग-अलग लड़ने पर बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को 2,45,554 और सपा की सीमा मिश्रा को 2,38,712 मत मिले थे, जो 2019 में मिले संयुक्त वोट 44.85 फीसद से लगभग पांच फीसद (49.30 प्रतिशत) ज्यादा था।
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