The live ink desk. विदेशों में भारतीय फलों, खाद्य पदार्थों और मसालों की खूब डिमांड है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) भी भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के लिए सदैव प्रयासरत रहता है। एपीडा को प्रयासों से ही भारतीय अनार की पहली खेप मेलबर्न (आस्ट्रेलिया) पहुंच गई है।
भारतीय किसानों द्वारा उगाया गया अनार नये राजस्व स्रोतों को खोलकर भारतीय किसानों की आय भी बढ़ाएगा। ऑस्ट्रेलिया ने 2020 में भारतीय अनार के आयात की स्वीकृति प्रदान की थी। इससे भारतीय किसानों के लिए एक नये और आकर्षक बाजार में प्रवेश करने का मार्ग खुला। फरवरी, 2024 में ऑस्ट्रेलिया को अनार के निर्यात के लिए एक कार्य योजना और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह खेप मुंबई के फलों और सब्जियों के एक प्रमुख निर्यातक और एपीडा के साथ पंजीकृत निर्यातक के खेतों से प्राप्त की गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस निर्यात का लाभ जमीनी स्तर पर भारतीय किसानों तक पहुंचे। इन अनारों को अहमदनगर में उनके ऑस्ट्रेलिया-अनुमोदित पैकहाउस में सावधानीपूर्वक पैक किया गया था। इससे ये गारंटी मिली कि वे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए आवश्यक कड़े गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं।
1.1 मीट्रिक टन वजन वाली इस खेप में 336 बक्से (प्रत्येक का वजन 3.5 किलोग्राम) शामिल थे। सहमत कार्य योजना के अनुसार, नवी मुंबई के वाशी में एमएसएएमबी आईएफसी में इसे आवश्यक विकिरण ट्रीटमेंट से गुजरना पड़ा।
भारत, बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके चलते महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अनार का प्रमुख उत्पादन होता है। एपीडा ने विशेषकर अनार के लिए निर्यात संवर्धन मंच (EPF) की स्थापना की है। इसका उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना और आपूर्ति शृंखला में बाधाओं को दूर करना है।
इन ईपीएफ मंचों में वाणिज्य विभाग, कृषि विभाग, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशालाओं और शीर्ष 10 प्रमुख निर्यातकों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये अनार के निर्यात को बढ़ावा देने में एक सहयोगी प्रयास सुनिश्चित करते हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश, नेपाल, नीदरलैंड, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, बहरीन और ओमान सहित अन्य बाजारों में 69.08 मिलियन यूएस डॉलर मूल्य के 72,011 मीट्रिक टन अनार का निर्यात किया।