नई दिल्ली (the live ink desk). देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने देशी प्रजाति के कुत्ते मुधोल हाउंड (Indigenous dog Mudhol Hound) को प्रधानमंत्री (Prime Minister) के सुरक्षा दस्ते में शामिल करने का फैसला किया गया है। मीडिया में आई रिपोर्ट (Media Report) के मुताबिक बेहद फुर्तीले किस्म के इन कुत्तों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ज्वार की रोटी के एक टुकड़े पर भी जिंदा रह सकते हैं। कर्नाटक के बगलकोट जिले में स्थित केनाइन रिसर्च इंफार्मेशन सेंटर सीआरआईसी (CRIC) में रह रहे यह कुत्ते आम भारतीय के घरों में मिलने वाला खाना खाते हैं। इनकी दिनचर्या में बहुत ही साधारण किस्म के खाना शामिल है। इनका काम केवल आधा किलो पिसा हुआ मक्का, गेहूं और अरहर की दाल से चल जाता है, जो उन्हें दिन में दो बार दिया जाता है। इसके साथ ही प्रतिदिन दो अंडे और आधा किलो दूध भी इन्हें दिया जाता है। कई निजी ब्रीडर उन्हें खाने में हर सप्ताह कुछ चिकन भी देते हैं।
मुधोल हाउंड दक्कन के पठार में एक पालतू जानवर के रूप में पाया जाता है। उनका उपयोग कर्नाटक के मुधोल शहर और उसके आसपास शिकार और रखवाली के लिए किया जाता था। कोल्हापुर के राजा ने भी इस नस्ल को संरक्षण दिया था। काफी, अलग, शांत और एकाग्रता के साथ यह शुष्क और दलदली भूमि पर समान रूप से शिकार करता है। 9 जनवरी 2005 को भारतीय डाक विभाग ने भारतीय मूल के कुत्तों की चार नस्लों पर विशेष डाक टिकट जारी किया था। तीस-तीस लाख डाक टिकटों वाली इस सीरीज में पहला नंबर हिमालयन शीपडाग नस्ल का था. जिन अन्य तीन नस्लों को इसमें जगह मिली थी, उसमें रामपुर हाउंड, मुधोल हाउंड और राजपालयम प्रजाति शामिल है।
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पलक झपकते ही तय करता है एक किमी का फासलाः मुधोल कुत्तों के सिर, गर्दन और छाती काफी गहरी होती है। पैर सीधे होते हैं और पेट पतले होते हैं। कान नीचे की ओर मुड़ा होता है। ग्रेट डेन के बाद देशी नस्लों में यह सबसे लंबा कुत्ता होता है। मुधोल कुत्तों की ऊंचाई 72 सेंटीमीटर और वजन 20 से 25 किलोग्राम तक होता है। मुधोल कुत्ता पलक झपकते ही एक किलोमीटर से ज्यादा की फर्राटा भर लेते हैं। इन कुत्तों का शरीर किसी एथलीट की तरह होता है और शिकार करने में इनका कोई सानी नहीं है। इन कुत्तों के कारनामे अद्भुत, अकल्पनीय हैं।
बेजोड़ और चौंकाने वाली है इन कुत्तों की खासियतः विशेषज्ञों के मुताबिक मुधोल प्रजाति के कुत्तों की कुछ खासियत बेजोड़ एवं चौकाने वाली है। जैसे इनकी आंखें 240 डिग्री से लेकर 270 डिग्री तक घूम सकती हैं। हालांकि देशी नस्ल के कुछ कुत्तों की तुलना में इनकी सूंघने की क्षमता कुछ कम होती है। ठंडे मौसम से तालमेल बिठाने में इन्हें कुछ दिक्कत हो सकती है। कर्नाटक वेटरनरी एनिमल फंड फिशरीज साइंसेज यूनिवर्सिटी बीदर के रिसर्च डायरेक्टर डॉक्टर बीबी शिव प्रकाश का कहना है कि मुधोल प्रजाति के कुत्तों को फैंसी, ब्रांडेड खाना नहीं चाहिए। हमारी रिसर्च सेंटर में जो भी खाना दिया जाता है, वह इस खाने से जिंदा रह सकते हैं।
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नरेंद्र मोदी ने 2018 की रैली में की थी तारीफः अगर मालिक चाहे तो इन्हें खाने में चिकन भी दे सकता है। अन्यथा यह कुत्ता ज्वार की एक रोटी खाकर भी जिंदा रह सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कुत्तों को ज्यादा देर बांधकर नहीं रखा जा सकता। यह खुला घूमना पसंद करते हैं और अपना काम बहुत ही मुस्तैदी के साथ करते हैं। यह वन मैन डॉग है। ज्यादा लोगों पर इसे भरोसा नहीं होता। अमूमन इन कुत्तों को निगरानी के काम में लगाया जाता है। गौरतलब है कि साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरी कर्नाटक में एक रैली के दौरान देशी नस्ल के कुत्तों की तारीफ की थी।
मालोजी राव और शिवाजी की सेना में था शामिलः मुधोल कुत्तों को पहली बार राजा मालोजी राव घोरपड़े ने (1984-1937) इन देशी प्रजाति के कुत्तों को महत्व दिया था। आदिवासी भी इन कुत्तों का इस्तेमाल शिकार के लिए करते थे। मालोजी राव घोरपडे ने अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान वहां के राजा किंग जॉर्ज पंचम को भी कुछ मुधोल जाति के पिल्लों को उपहार में दिया था। जानकारों का कहना है कि छत्रपति शिवाजी भी अपने सुरक्षा दस्ते में मुधोल जाति के कुत्तों को लेकर चलते थे एवं उनकी सेना में भी यह कुत्ता शामिल था।
कर्नाटक के मुधोल तालुका में है जन्मस्थानः जानकारों का कहना है कि यह कुत्ता मुधोल तालुका में पाया जाता है। परंतु, अब सीआरआईसी से इन कुत्तों को प्राइवेट ब्रीडर ले जाते हैं। अब महाराष्ट्र, तेलंगाना एवं दूसरे राज्यों में भी इनका प्रजनन कराया जा रहा है। इन कुत्तों का मूल निवास कर्नाटक है। पिछले साल नेशनल ब्यूरो आफ एनिमल जेनेटिक्स रिसोर्सेज एनबीएजीआर करनाल ने मुधोल प्रजाति के कुत्ते को देशी नस्ल के कुत्ते के तौर पर मान्यता दी। मान्यता मिलने के बाद प्राइवेट ब्रीडर, मुधोल तालुका एवं बगलकोट जिले के लोगों ने इन कुत्तों को बेचना शुरू किया है।
270 डिग्री तक घूमकर देख सकती हैं आंखेंः विश्व में सिर्फ मुधोल जाति के कुत्तों की आंखें 240 से 270 डिग्री पर घूम सकती है। इनकी त्वचा ऐसी होती है कि यह शुष्क मौसम में भी ठीक तरह से रह लेता है। इन्ही खूबियों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने मुधोल प्रजाति बच्चों को सीआरआईसी में ट्रेनिंग देनी शुरू की। एसएसबी राजस्थान एवं वन विभाग बांदीपुर ने यहां से दो, सीआईएसएफ हरिकोटा ने एक, बीएसएफ टेकनपुर ने चार, इंडियन एयर फोर्स की आगरा इकाई ने सात पिल्लों को लिया है। मुधोल कुत्तों का जिक्र इतिहास में भी मिलता है।