मांडा रोड, डेंगुरपुर घाट पर स्थानीय लोगों ने किया प्रदर्शन, उग्रप्रदर्शन की चेतावनी
भदोही (संजय मिश्र). जिले के आख़िरी छोर पर स्थित गंगा नदी से घिरे कोनिया क्षेत्र में पक्के पुल की मांग को लेकर आज मांडा रोड, डेंगुरपुर घाट (Dengurpur-Dhantulsi Ghat) पर प्रदर्शन किया गया। लाल साहब चौबे की अगुवाई में जुटे लोगों ने कहा कि अब सब्र का बांध टूटता जा रहा है। यदि शीघ्र ही शासन-प्रशासन की तरफ सेकोई निर्णय नहीं लिया जाता तो उग्र प्रदर्शन केलिए बाध्य होना पड़ेगा। बताते चलें कि बीते 30 जून को भी एक दिवसीय प्रदर्शन किया गया था।
लाल साहब चौबे ने कहा, विकास के लिहाज से अति पिछड़े इलाके कोनिया क्षेत्र में पक्के पुल को लेकर हर बार चुनाव में वादे किए जाते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने 14 नवंबर, 2019 को Dengurpur-Dhantulsi Ghat पर पक्के पुल के शिलान्यास की बात कही। बाद में चुनाव प्रचार के लिए आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पक्के पुल निर्माण को स्वीकृति दिए जाने की बात कही। उसके बाद 2021 विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन लोक निर्माण विभाग के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ज्ञानपुर में आम जनसभा में डेंगुरपुर घाट पर पक्के पुल निर्माण की फाइल को स्वीकृति देने की बात कही।
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यही बात केशव प्रसाद मौर्य ने पांच मार्च, 2021 को एक जनसभा के दौरान दोहराई। इसके अलावा भाजपाके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सांसद रविकिशन शुक्ल नेभी पक्के पुल का वादा किया, लेकिन आज तक एक अदद ईंट भी नहीं रखी जा सकी।
उन्होंने कहाकि, विधानसभा चुनाव में विपुल दुबे के जीतने का एक प्रमुख कारण यहभी रहा कि लोगों ने पक्के पुलकी चाहमें भाजपाको एकतरफा वोट दिया। चुनाव जीतने के बाद कई बार पत्र भी सौंपा गया। मेजा की विधायक रहीं नीलम करवरिया, प्रयागराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी डेंगुरपुर घाट पर पक्के पुल की बात कह चुकी हैं। पक्के पुल का निर्माण न होने से कोनियावासियों में खासा रोष है।
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समाजसेवी विपिन पांडेय ने कहा, धनतुलसी घाट (Dengurpur-Dhantulsi Ghat) पर पक्के पुल का निर्माण जल्द से जल्द होना जनहित में अति आवश्यक है, यदि धनतुलसी घाट पर पक्का पुल बनता है तो भदोही जिले से एमपी की दूरी, झारखंड की दूरी, बिहार की दूरी, छत्तीसगढ़ राज्य की दूरी बहुत ही कम हो जाएगी। क्षेत्रीय लोगों के रोजगार का अवसर मिलेगा। पर्यटन की दृष्टि से भी कोनिया महत्वपूर्ण है। सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी और विंध्याचल मंदिर की दूरी केवल 30 से 40 किलोमीटर की हो जाएगी। प्रयागराज-बनारस से सीधे कोनिया का जुड़ाव होगा और विकास के असीम रास्ते खुलेंगे।
इस मौके पर कामरेड सद्दाम अंसारी, सैफ अहमद, अनुराग पांडेय, विजय उपाध्याय, गुड्डू चौबे समाजसेवी सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोगों ने धरना दिया।