इलाहाबाद लोकसभाः सियासी गर्मी में अखर रही मतदाताओं की खामोशीः किसका पलड़ा होगा भारी
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). यह पब्लिक है, सब जानती है। बस कहती नहीं। किस सांसद और विधायक ने विकास के लिए क्या-क्या किया, कहां पानी पहुंचाया, कहां सड़क बनवाई, किसे घर और शौचालय मिला। पब्लिक को सब याद रहता है। क्योंकि, पब्लिक का सामना मूलभूत आवश्यकताओं से जुड़ी समस्याओं से हर रोज होता है। बस, चुनाव जीतने के बाद नेता ही अपनी हैसियत भूल जाते हैं कि वह कभी गांव की झोपड़ी में रहने वाले ‘मंगरू’ के सामने हाथ जोड़कर वोट मांगने भी गए थे।
इलाहाबाद लोकसभा की सियासी पिच पर इस समय दो दिग्गजों के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। सत्ताधारी दल भाजपा से नीरज त्रिपाठी हैं, जिन्हे अपने पिता स्व. केशरीनाथ त्रिपाठी से राजनीति विरासत में मिली है तो दूसरी तरफ समाजवादी के कद्दावर नेता कुंवर रेवतीरमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल रमण सिंह मैदान में हैं।
स्व. केशरीनाथ त्रिपाठी विधानसभा के अध्यक्ष के अलावा बंगाल के गवर्नर भी रह चुके हैं। तो दूसरी तरफ कुंवर रेवतीरमण सिंह के नाम आठ बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड है। वह इलाहाबाद सीट से ही लगातार दो बार सांसद चुने गए। राज्यसभा जाने का भी मौका उन्हे मिला। वैसे तो इलाहाबाद सीट से कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुकाबले में सिर्फ भाजपा व कांग्रेस (महा गठबंधन) के दिख रहे हैं।
तीसरे प्रमुख दल बसपा से रमेश पटेल भी मैदान में हैं। बीते आम चुनाव में बसपा ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा था, लेकिन 2014 में बसपा ने यहां से दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी और पहली मोदी लहर में बसपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल को 1,62,073 वोट मिले थे।
भीषण गर्मी में हो रहे लोकसभा चुनाव में प्रचार का ज्यादा शोर भाजपा और कांग्रेस (सपा समर्थित) का ही दिख रहा है, क्योंकि दो दिन पहले (17 मई) ही बसपा सुप्रीमो ने इलाहाबाद मंडल में सभा की। यह सभा प्रतापगढ़ में हुई और इलाहाबाद के साथ समीपवर्ती फूलपुर व कौशांबी के प्रत्याशियों के लिए वहीं से प्रचार किया।
चुनाव प्रचार के हो-हल्ला के बीच मतदाता पूरी तरह से खामोश है। सामने मिलने पर प्रत्याशी, समर्थकों और पार्टी पदाधिकारियों से दुआ-सलाम जरूर कर रहा है, लेकिन उसे वोट कहां देना है, यह बात जाहिर नहीं कर रहा। मतदाताओं की यही खामोशी न सिर्फ राजनीतिक पंडितों को अखर रही है, बल्कि राजनीति को समझने वाले, विश्लेषण करने वाले भी नब्ज को पकड़ने में खुद को नाकाम पा रहे हैं।
इलाहाबाद का मतदाता उज्ज्वल रमण सिंह को अच्छी तरह जानता है। वह सपा सरकार में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। तो दूसरी तरफ नीरज त्रिपाठी मतदाताओं के लिए नया चेहरा है। इलाहाबाद का आम आदमी नीरज त्रिपाठी के पिता गोलोकवासी हो चुके पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी को तो भलीभांति जानता है। अब देखना यह है कि राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सभा प्रयागराज में हो सकती है। वहीं रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी ने चुनावी माहौल में गरमाहट पैदा कर दी है।