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हीटवेव में गर्भवती और धात्री महिलाओं को विशेष देखभाल की जरूरतः डा. रीता सिंह

स्त्री रोग विशेषज्ञ ने दी सलाह- अत्यधिक गर्मी के दिनों में कैसे सुरक्षित रखें अपने बच्चे का जीवन

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था होती है, जब विशेष केयर की जरूरत होती है। वह भी तब, जब गर्भवती या फिर धात्री महिलाएं हीटवेव अर्थात लू का सामना कर रही हों। हीटवेव में एचआरपी (हाई रिस्क प्रेग्नेंसी) वाली महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत होती है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरगढ़ की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रीता सिंह ने गर्भवती और धात्री महिलाओं को सुझाव देते हुए बताया, गर्भवती महिलाओं के शरीर का तापमान नार्मल महिलाओं की अपेक्षा थोड़ा ज्यादा होता है। ऐसे में उनमें हीटस्ट्रोक की संभावना ज्यादा होती है। हीट स्ट्रोक से बचावके लिए गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को विशेष केयर की जरूरत होती है।

डा. रीता सिंह ने कहा, हीटवेव में पानी की कमी बहुत तेज से होती है, ऐसे में गर्भवती महिलाओं में पानी की कमी हो जाती है, डिहाइड्रेशन हो जाता है, बीपी कम हो जाता है। इसका असर गर्भवती का प्लेसेंटा सर्कुलेशन पर पड़ता है। प्लेसेंटा, गर्भ का वह भाग होता है, जिसके द्वारा मां के शरीर से गर्भस्थ बच्चे को पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। ऐसे में अगर मां के स्वास्थ्य पर तनिक भी प्रभाव होगा तो प्लेसेंटा सर्कुलेशन प्रभावित होगा और गर्भ में पल रहे बच्चे को न्यूट्रिशन सही से नहीं मिलेगा। ग्रोथ प्रभावित होगी।

इसके अलावा गर्भ में बच्चे के आसपास जो पानी होता है, उसकी मात्रा भी कम हो जाती है। इससे समय पूर्व प्रसव हो सकता है। ग्रोथ रुक सकती है। बच्चा पेट में ही लैट्रिन कर सकता है और गर्भ में ही बच्चे की मौत भी हो सकती है। दूसरी तरफ गर्भवती महिलाओं की अपेक्षा धात्री महिलाओं में रिस्क कुछ कम रहता है, फिर भी उन्हे ध्यान देने की जरूरत होती है।

हीटवेवके दौरान सही से ध्यान न रखा जाए तो महिलाओं में पानी की कमी हो सकती है। महिलाओं के दूध में 80-90 फीसद पानी ही होता है। मां के शरीर में पानी की कमी होने पर दूध प्रापर तरीके से नहीं बनेगा। गुणवत्ता प्रभावित होगी। पोषक तत्वों से भरपूर दूध नहीं बनेगा तो बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ेगा और बच्चा बीमार पड़ जाएगा।

डा. रीता सिंह ने कहा, पहले छह माह बच्चा पूरी तरह से मां के दूध पर ही निर्भर रहता है। ऐसे हालातों में खुद काबचाव और खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

बताया कि इस दौरान गर्भवती व धात्री महिलाएं तेज धूप में बाहर न निकलें। यदि निकलना पड़े तो छाता लेकर निकलें। पानी की बॉटल साथ रखें। हल्के रंग के ढीले और सूती कपड़े पहनें। प्रत्येक एक घंटे में पानी का बड़ा गिलास लें। पानी के साथ गुड़, बताशा, पेठा ले सकते हैं। इलेक्ट्रोलाइट को बैलेंस रखने के लिए बीच-बीच में छाछ, शिकंजी, पना, नीबू पानी, ओआरएस, फ्रूट जूस का सेवन करें।

सीजन में मिलने वाले फ्रूट, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, उसका प्रयोग करती रहें। इसमें तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी आदि का सेवन फायदेमंद हो सकता है। बताया कि धात्री महिला को खुद की जरूरत के अलावा 500 कैलोरी की जरूरत बढ़ जाती है।

ऐसे में खानपान पर विशेष ध्यान दें, जैसे कि चावल, ब्रेड, पूर्ण अनाज से बनी रोटी, आलू, जई (ओट्स), सूजी, एक गिलास दूध, दही या योगर्ट, दाल-दलहन, अंडे, मछली का सेवन किया जा सकता है। क्षेत्रकी गर्भवती या फिर धात्री महिलाओं को हीटवेव से किसी प्रकार की दिक्कत होती है तो तत्काल अपने नजदीक के स्वास्थ्य कार्य़कर्ता जैसे आशा, एएनएम से तत्काल संपर्क करें और नजदीकी जो भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र हों, वहां जाकर डाक्टर से संपर्क करें।

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