लखनऊ. 25 जून, 1975 को देश में लागू किए गए आपातकाल पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनका स्मरण किया है, जिन्होंने उस दौर में यातनाएं सहीं। एक्स पर पोस्ट करने के साथ-साथ मीडिया से बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने कहा, आपातकाल देश के लोकतंत्र का काला अध्याय है।
आज से ठीक पांच दशक पहले, आज ही के दिन देर रात्रि में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने भारत के संविधान का गला घोंटते हुए लोकतंत्र को पूरी तरह समाप्त करने की साजिश रची थी। 25 जून, 1975 को रात के अंधेरे में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने भारत के लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास किया।
उस दौर में सभी विपक्षी दलों ने इस आपातकाल का विरोध किया। इसके फलस्वरूप अटल बिहारी वाजयेपी, मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी और सभी नेताओं को बंद कर लोकतंत्र को रौंदने का पूरा प्रयास किया था। आज, हम पांच दशक के बाद इमरजेंसी की उन यादों का स्मरण करते हैं तो स्वाभाविक रूप से कांग्रेस का चरित्र सामने आ जाता है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, कांग्रेस ने अबचेहरा जरूर बदल लिया है, लेकिन उसका चरित्र आज भी वही है, जो 1975 में एक बर्बर चेहरा कांग्रेस का देखने को मिला था। कैसे उन्होंने (कांग्रेस) संविधान की मूल आत्मा में संशोधन कर उसकी आत्मा को नष्ट करने का प्रयास किया।
उस दौर में कांग्रेस ने देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर दिया था। न्यायालय के अधिकारों को कांग्रेस पार्टी ने बंधक बनाकर रखा। आज भी कांग्रेस पार्टी में भले ही नेतृत्व बदला हो, लेकिन उसका चरित्र अब भी वही है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, वे (कांग्रेस) लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन भारत के बाहर जाकर, भारत के लोकतंत्र को कटघरे में खड़ा करते हैं। चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाते हैं। भारत और उसके लोकतंत्र को कोसते हैं। चुनाव की प्रक्रिया में बाधा करके ईवीएम पर अपनी अकर्मण्यता का दोष डालते हैं।
कांग्रेस का यह तानाशाही पूर्ण रवैया आज से नहीं, 1975 से भी नहीं, बल्कि आजादी के तत्काल बाद से देखने को मिल रहा है, जब संविधान को अंगीकार करने के दो वर्ष के अंदर ही धारा 370 को जबरिया डाला गया।
इंदिरा गांधी के खिलाफ आया था फैसला
गौरतलब है कि साल 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को शिकस्त दी थी। राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली थी। 12 जून, 1975 हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोषी माना और उनका निर्वाचन अवैध हो गया।
इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी पर छह साल तक किसी भी चुनाव के लड़ने पर रोक लगा दी। इस फैसले के बाद, देशभर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इससे बाद देश में आपातकाल लागू किया गया।
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