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Kargil War देश के वीरों के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीकः अनिल चौहान

अपने विरोधियों पर बढ़त बनाए रखने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की जा रही कई पहल

The live ink desk. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा, कारगिल वार (Kargil War) भारत के वीर जवानों के अदम्य साहस, वीरता, दृढ़ता और निस्वार्थ संकल्प का प्रतीक है। विरोधियों पर बढ़त बनाए रखने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कई प्रकार की पहल की जा रही है। संभावित खतरे के अनुरूप हमारे युद्ध लड़ने के सिद्धांतों, रणनीति और अवधारणा में भी बेहतर प्रयास किए गए हैं।

सीडीएस (CDS) अनिल चौहान कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सीडीएस ने कारगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस और बलिदान के लिए पूर्व सैन्य कर्मियों और वीर नारियों को धन्यवाद दिया।

कहा, कारगिल वार (Kargil War) एक ऐसा संघर्ष था, जिसने एक मजबूत और जवाबी रक्षा रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया। इसने हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सतर्कता और तैयारी बनाए रखने के महत्व को उजागर किया। सार्वजनिक और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के महत्व पर भी जोर दिया। एक ऐसी रणनीति, जिसका उपयोग शत्रु देशों की तटस्थता बनाए रखने और वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए प्रभावी ढंग से किया गया।

सीडीएस ने कारगिल युद्ध को भारत में पहला टेलीविजन युद्ध बताते हुए कहा, वहां स्वतंत्र और खुला मीडिया मौजूद था। कारगिल युद्ध ने हमारे सशस्त्र बलों की दृढ़ता, निस्वार्थ भावना, प्रचंड साहस और दृढ़ संकल्प का पर्याय बन गया है और यह राष्ट्र को भविष्य के खतरों और चुनौतियों पर सामूहिक रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।

सशस्त्र बलों के एकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने कहा कि संयुक्त होने से आगे बढ़ते हुए तीनों सेवाएं अब संयुक्त संस्कृति को बढ़ावा देने और कई क्षेत्रों में खुद को एकीकृत करने की दिशा में काम कर रही हैं।

भविष्य के लिए तैयार हो रहीं सेनाएं

जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों के निर्माण के लिए स्वदेशी साधनों के जरिए प्रगतिशील तरीके से क्षमता विकास का प्रयास किया जा रहा है। इसमें अवसंरचना, मजबूत परिचालन और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध लड़ने की दक्षता को बढ़ाने के लिए पुनर्गठन और पुनर्संरचना से जुड़ी कई पहल चल रही है।

बहुआयामी चुनौतियों पर है ध्यान

कहा कि भविष्य की सैन्य और गैर-सैन्य सुरक्षा चुनौतियों की प्रकृति, सशस्त्र बलों के लिए बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी चुनौतियों के प्रति तैयार रहने की अनिवार्य आवश्यकता को सामने लाती है। उन्होंने भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष, सूचना और साइबरस्पेस जैसे सभी क्षेत्रों में निर्बाध एकीकरण और सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के बीच अंतर-संचालन योग्य प्रणालियों को शामिल किए जाने पर जोर दिया।

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