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पितृपक्षः श्राद्ध और तर्पण से खुश होंगे पितर, धन-धान्य से भरा रहेगा घर

भाद्रपद मास की पूर्णिमा, यानी 10 सितंबर, 2022 से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है। पूर्वजों को याद करने, उनका आशीष पाने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ पितृपक्ष मनाया जाता है और पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पितृपक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहता है। इसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शिक्षक और ज्योतिषाचार्य पंडित त्रियुगीकांत मिश्र कहते हैं कि पितरों के खुश और संतुष्ट न करने के कारण जीव को भौतिक जगत में काफी संताप का सामना करना पड़ता है। जिसे हम पितृदोष के नाम से भी जानते हैं। इस कारण दुख, दरिद्रता, धन हानि, मानसिक कष्ट, बीमारी आदि की समस्याएं बनी रहती हैं। पितृ पक्ष में लोगों को अपने पितरों की मुक्ति और मोक्ष की कामना के साथ श्राद्ध, पिंडदान, दान-दक्षिणा, भोज आदि करना चाहिए।

पितृपक्ष में पितरों को श्राद्ध अर्पित करते समय तिथि, नाम और गोत्र सही होने पर ही अर्पित भोग पितरों को प्राप्त होता है। इसलिए श्राद्ध करते समय नाम और गोत्र का विशेष ध्यान रखना चाहिए।  ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पितरों को नमन करने के लिए हम निम्न मंत्रों का जाप कर सकते हैं

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।

ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:

पितर: शोषाय नमो व:

पितरो जीवाय नमो व:

पीतर: स्वधायै नमो व:

पितर: पितरो नमो वो

गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।

इसके उपरांत हर दिन स्नान के बाद तर्पण के लिए कुशा, अक्षत्, जौ और काला तिल से तिलांजलि देनी चाहिए और पितरों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। बताया कि यदि आप पितरों को खुश नहीं कर पाते हैं तो उनकी नाराजगी भारी पड़ सकती है। इसके अलावा यदि पितृदोष से मुक्ति चाहते हैं तो आपको प्रत्येक दिन पितृ सूक्तम का पाठ करना चाहिए। इसके पाठ से पितृदोष दूर होगा और समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी। यह पाठ रोजाना शाम के वक्त करना चाहिए।

इसके बाद पितरों की आरती करनी चाहिए।

जय जय पितर जी महाराज,

मैं शरण पड़ा तुम्हारी,

शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,

रख लेना लाज हमारी,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता,

आप ही खेवनहारे,

मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,

आप ही हो रखवारे,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,

करने मेरी रखवारी,

हम सब जन हैं शरण आपकी,

है ये अरज गुजारी,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

देश और परदेश सब जगह,

आप ही करो सहाई,

काम पड़े पर नाम आपके,

लगे बहुत सुखदाई,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

पितृपक्ष में पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए। किसी सुयोग्य ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। श्राद्ध में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को दान के साथ-साथ किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता करने से बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना शुभ माना जाता है। यदि गंगा नदी के तट पर पहुंच पाना संभव न हो तो इसे घर पर या परिवार, समाज की मान्यता के अनुसार निर्धारित स्थलों पर भी श्राद्धकर्म कर सकते हैं। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान-दक्षिणा देकर उन्हें संतुष्ट करें और चरण स्पर्श कर विदा करें। (रिपोर्टः आलोक गुप्ता)

पितृ पक्ष 2022 में श्राद्ध की तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022

प्रतिपदा श्राद्ध – 10 सितंबर 2022

द्वितीया श्राद्ध – 11 सितंबर 2022

तृतीया श्राद्ध – 12 सितंबर 2022

चतुर्थी श्राद्ध – 13 सितंबर 2022

पंचमी श्राद्ध – 14 सितंबर 2022

षष्ठी श्राद्ध – 15 सितंबर 2022

सप्तमी श्राद्ध – 16 सितंबर 2022

अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर 2022

नवमी श्राद्ध – 19 सितंबर 2022

दशमी श्राद्ध – 20  सितंबर  2022

एकादशी श्राद्ध – 21 सितंबर 2022

द्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबर, रात्रि 1.19 बजे तक

त्रयोदशी श्राद्ध – 23 सितंबर, रात्रि 2.32 बजे तक

चतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबर, रात्रि 3.14 बजे तक

अमावस्या 25 सितंबर, रात्रि 3.26 बजे तक

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