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कोचिंग कल्चर देश के युवाओं के लिए ‘गैस चैंबर’ से कम नहीः जगदीप धनखड़

कोचिंग सेंटरों द्वारा अखबारों के विज्ञापनों पर किए जा रही भारी-भरकम रकम की हो जांचनियम 176 के तहत राज्यसभा में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं की मृत्यु पर की गई अल्पकालिक चर्चा

The live ink desk. नई दिल्ली में संचालित कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के कारण हुई मौत पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई।

राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में जलभराव के कारण प्रतियोगी तीन छात्र-छात्राओं की मृत्यु पर राज्यसभा के नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा हुई। चर्चा की अनुमति देते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा- “मुझे लगता है कि देश के युवा जनसांख्यिकीय लाभांश को पोषित करना अति आवश्यक है। मैंने पाया है कि कोचिंग अब व्यापार बन गया है…।”

सभापति ने कोचिंग सेंटर्स द्वारा अखबार के विज्ञापनों पर किए जाने वाले भारी खर्च पर भी चिंता जताई। कहा, यह रकम छात्रों से ली जाने वाली भारी फीस से वसूली जाती है। उन्होंने कहा, “कोचिंग उच्च रिटर्न के साथ एक समृद्ध उद्योग बन गया है….हर बार जब हम अखबार पढ़ते हैं तो पहले एक या दो पन्नों में कोचिंग के विज्ञापन जरूर होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “विज्ञापन पर खर्च किया गया एक-एक पैसा छात्रों की फीस से आ रहा है, हर नई इमारत छात्रों से आ रही है।”

कोचिंग कल्चर के कारण देश में बनाए गए साइलो की तुलना ‘गैस चैंबर्स’ से करते हुए सभापति ने कहा, “हमारे देश में जहां अवसर बढ़ रहे हैं, ऐसे साइलो बड़ी समस्या बन रहे हैं… ये किसी गैस चैंबर से कम नहीं हैं।” उन्होंने सदन के सदस्यों से युवाओं के लिए देश में उपलब्ध रोजगार और कौशल विकास के विभिन्न अवसरों के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।

सदन के कुछ दलों के नेताओं द्वारा सभापति के कक्ष में सदन की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का बहिष्कार और विरोध की प्रथा पर अफसोस जताते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा, “मुझे अपनी पीड़ा साझा करने दीजिए, मुझे अपना दर्द साझा करने दीजिए। सभापति जब सदन में सदस्यों से मिलने के लिए अनुरोध करते हैं तो उसे इस तरह मना किया जाना, पहले कभी नहीं देखा गया।

यह आचरण संसदीय मर्यादा को कमजोर करने वाला है। सदन के कुछ नेता यदि इस तरह सदन में सभापति का बहिष्कार करना चाहते हैं, तो यह निश्चित रूप से एक स्वस्थ परंपरा नहीं है।”

पूर्ण चर्चा के लिए तैयार नहीं हुए विपक्षी नेता

इससे पहले सोमवार को राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी और स्वाति मालीवाल ने यूपीएससी के एक कोचिंग सेंटर में हुई दुखद घटना पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया। सभापति ने नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा की अनुमति दी, क्योंकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मामले को अति आवश्यक बताते हुए नियम 267 के तहत इस मामले पर चर्चा करने के लिए तैयार थे, लेकिन नेता प्रतिपक्ष मलिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी दल नियम 267 के तहत इस मामले पर चर्चा करने से असहमत थे।

इस पर सभापति ने यह स्पष्ट किया कि नियम 267 के तहत किसी भी विषय पर तभी चर्चा की जाएगी जब सभी प्रमुख दल सहमत हों और पूरे सदन की आम सहमति हो।

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