प्रयागराज (राहुल सिंह). अपनी पीड़ा लेकर एसडीएम दफ्तर, कोरांव पहुंचे आधा दर्जन से अधिक फरियादियों को खाली हाथ लौटना पड़ा। एसडीएम के दफ्तर में गुरुवार को दिनभर ताला लटकता रहा।
फरियाद लेकर आए लोग इस उम्मीद में घंटों बैठे रहे कि जब एसडीएम आएंगी, तभी समस्या का समाधान होगा, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी एसडीएम कोरांव का कोई पता नहीं चला।
एसडीएम के नहीं आने से तहसील के भी कार्य पेंडिंग में चले जाते हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि एसडीएम का फोन भी रिसीव नहीं होता। ऐसे में वक्त-जरूरत पर एसडीएम से संपर्क भी नहीं हो पाता।
बृहस्पतिवार को कई गांवों से फरियादी तहसील आए हुए थे, लेकिन उपजिलाधिकारी कोरांव से मिलने की आस पूरी नहीं हो सकी। वह दिनभर तहसील परिसर में बैठे रहे। मुलाक़ात नहीँ होने पर वह अपनी समस्या के साथ ही लौट गए।
फरियादियों ने कई अधिवक्ताओं से भी जानकारी की। काफी देर बाद पता चला कि आज एसडीएम तहसील ही नहीं आई हैं। अधिवक्ताओं का कहन हैकि जब से यहां पर नये एसडीएम की नियुक्ति हुई है, फरियादियों को न्याय मिलना दूभर होता जा रहा है।
बड़ी समस्याओं को कौन कहे, छोटी-मोटी समस्याएं भी जस की तस बनी हुई हैं। कई अधिवक्ताओ ने यह भी बताया कि नियुक्ति के बाद से ही फ़ाइलों का निस्तारण नहीँ किया जा रहा है।
वह बहुत कम समय के लिए कार्यालय आती हैं और कब वापस लौट जाती हैं, किसी को पता ही नहीँ चल पाता। जांच व उच्चाधिकारियों के सवाल-जवाब से बचने के लिए उनकी सरकारी गाड़ी सरकारी आवास पर ही पार्क रहती है, ताकि उनकी लोकेशन कोरांव ही दिखे। असलियत में वह बाहर जाने के लिए दूसरी गाड़ी का इस्तेमाल करती हैं।