प्रयागराज (राहुल सिंह). जब कोई व्यक्ति समय के सद्गुरु द्वारा या किसी तत्वदर्शी संत द्वारा ब्रम्हाज्ञान की प्राप्ति कर लेता है और उसे अपने मन में टिका लेता है तो वह जगत के कण-कण से शिक्षा ग्रहण करने लगता है, क्योंकि उसे हर जगह, कण-कण में, जर्रे-जर्रे में परमात्मा के दर्शन होने लगते हैं और वह परमात्मा को ही हर जगह देखते हुए उनसे सीखने लगता है।
यह बातें निरंकारी संत रमाकांत ने कही। बैरहना स्थित निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित जोन स्तरीय निरंकारी समागम (अंग्रेजी माध्यम) में बांदा जिले से आए हुए केंद्रीय प्रचारक रमाकांत ने कहा कि प्रकृति का कण-कण हमें सिखाता है कि स्वार्थ त्याग कर, सबका हित करते हुए यह बहुमूल्य जीवन (मानव जीवन) जीना है।
उदाहरण दिया कि जैसे कि नदी शीतल जल से, वृक्ष मीठे फल से, बादल रिमझिम बरसात से और संत दिव्य वाणी से लोगों का हित करते हैं। ये हमें सिखाते हैं कि परोपकार के कार्य में हमें कभी पीछे नहीं रहना चाहिए।
अंग्रेजी भाषा की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए देशभर के सभी राज्यों, जिलों एवं सभी क्षेत्रों में इंग्लिश मीडियम निरंकारी समागम का आयोजन किया जा रहा है कि कहीं भाषा के कारण लोग विशेष तौर पर आज की आधुनिक पीढ़ी कहीं आध्यात्मिकता के मार्ग से विमुख न हो जाए।
उन्होंने कहा, भाषा का काम जोड़ना है, तोड़ना नहीं। लोग अंग्रेजी भाषा के माध्यम से जुडकर ज्यादा से ज्यादा आध्यामिकता से जुड सकें, यही सद्गुरु माता सुदीक्षा की भी इच्छा है।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रुप में अपूर्व (वाइस प्रेसिडेंट, रामानुजन पब्लिक स्कूल, प्रयागराज) ने साधु संगत की संबोधित करते हुए कहा कि निरंकारी मिशन की इन शिक्षाओं को अपनाकर अपना जीवन सामान्य से श्रेष्ठ बना सकते हैं। अंत में जोनल इंचार्ज अशोक सचदेव ने आए हुए सभी अतिथियों एवं संगत का आभार प्रकट किया।