अवध

Nagar Panchayat Reservation: अंत समय में दिग्गजों को लगा करारा झटका

दो दर्जन से अधिक उम्मीद्वार कर रहे थे आरक्षण सूची का इंतजार

अंतिम आरक्षण सूची जारी होने के बाद फिर शुरु हुआ चर्चाओं कादौर

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). मनमाफिक आरक्षण के इंतजार में बैठे दो दर्जन दिग्गजों का आज उस समय करारा झटका लगा, जब शासन की तरफ से जारी की गई नगर पंचायतों की आरक्षण सूची उनके मोबाइल में पहुंची। आरक्षण देखते हुए जहां कुछ लोगों के चेहरे पर खुशी झलकी तो कइयों के चेहरे पर उदासी साफ-साफ नजर आई। कुछ इसी तरह का माहौल नगर पंचायत शंकरगढ़ में भी देखने को मिला। नगर पंचायत शंकरगढ़ से तकरीबन दो दर्जन दावेदार चेयरमैन पद के लिए अपना-अपना जुगाड़ भिड़ाए बैठे थे। अब तक के चले आ रहे आरक्षण के क्रम में लोगों को यह अनुमान था कि इस बार यहां की सामान्य के खाते में डाली जा सकती है, लेकिन सोमवार को शासन की तरफ से जारी किए गए आरक्षण ने सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

नगर पंचायत शंकरगढ़ के अध्यक्ष पद की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित की गई है। चेयरमैन की कुर्सी अन्य पिछड़ा वर्ग के खाते में जाने की जानकारी होते ही दावेदारों की बेचैनी एक बार फिर से बढ़ गई है। लोग अब आगे की जुगत लगाने में जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित यह सीट कई मायनों में बेहद अहम मानी जाती है। पिछली बार की तरह इस बार भी यहां सबसे अधिक चर्चा आरक्षण सूची पर हो रही है।

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प्रयागराज जिले के यमुनापार में स्थित नगर पंचायत शंकरगढ़ की बात करें तो 5.12.1988 से साल 1990 तक कुंवर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना भैया ने नगर पंचायत की बागडोर संभाली। इसके पश्चात कुछ समय के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में सैयद औसाफ अली बतौर चेयरमैन दायित्वों का निर्वहन किया। वर्ष 1995 में आरक्षण की बयार बही और 1995 में नगर निकाय का चुनाव आरक्षण के दायरे में शामिल कर लिया गया। आरक्षण प्रक्रिया के पहले चरण में नगर पंचायत शंकरगढ़ की सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुई। रिजर्वेशन लागू होने के बाद यहां से पहली दफा लल्लू कनौजिया चेयरमैन निर्वाचित हुए।

इसके पश्चात वर्ष 2000 में यह सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हुई और इस चुनाव में लल्लू कनौजिया की पत्नी लीला कनौजिया ने बाजी मारी और अगले पांच साल तक अर्थात 2005 तक लीला कनौजिया ने चेयरमैन का पद संभाला। वर्ष 2006 में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित की गई, जिसमें भाजपा की रेखा केसरवानी को जीत मिली और उन्होंने 2011 तक का कार्यकाल पूरा किया। जबकि 2012 में यहां की सीट पुनः पिछड़ी जाति की महिला के लिए सुरक्षित रखी गई और यहां से अनुपमा वैश्य विजयी हुईं और वर्ष 2017 में यहां की सीट अनुसूचित जाति के पाले में चली गई और चेयरमैन लल्लू कनौजिया फिर से चेयरमैन बने।

पिछले पांच पंचवर्षीय से यहां की सीट लगातार रिजर्व रहने के कारण इस बार लोगों को उम्मीद है कि इस बार यह सीट सामान्य सीट के खाते में आएगी। इसे लेकर अभी से कयासबाजी शुरू हो गई है। दावेदार भी अपनी तैयारी कर रहे हैं, यदि सीट सामान्य नहीं हुई तो भी किसे लड़ाना है और किसे जिताना, इस पर भी मंथन किया जा रहा है। मौजूदा समय में शंकरगढ़ से दावेदारों की बात करें तो यहां पर दो दर्जन दावेदार चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं। अब, बारी सिर्फ आरक्षण चार्ट के जारी होने की है।

कुछ ऐसा है नगर पंचायत के वार्डों का आरक्षणः नगर पंचायत शंकरगढ़ में कुल 12 वार्ड हैं। इसमें चिकान टोला को पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किया गया है। इसी क्रम में चमरौटी टोला की सीट पिछड़ा वर्ग, गुड़िया तालाब को अनुसूचित जाति महिला, लाला का पुरवा को पिछड़ा वर्ग को दिया गया है। इसी तरह मोटियान टोला और धर्मनगर को अनुसूचित जाति के हवाले कर दिया गया है। जबकि मोदीनगर, पटेलनगर, सिंधी टोला और राजा कोठी की सीट अनारक्षित और हज्जी टोला और सदर बाजार को महिला के लिए रिजर्व किया गया है।

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