एक तोते के लिए थाने में बैठी पंचायत, असली मालिक का नाम लेने पर हुई घर वापसी
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). अमूमन लोग थाने तभी जाते हैं, जब कोई बड़ी मुसीबत आन पड़ती है। पर, शंकरगढ़ इलाके में रविवार को एक तोते का मामला थाने पहुंच गया। तोत एक था और उसके दावेदार दो। इस मसले को लेकर थाना परिसर में घंटों पंचायत चली, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था। थाने में पहुंचे अजीबोगरीब मामले की जानकारी होने पर तमाम स्थानीय लोगों की भी भीड़ जमा हो गई, पर यह फैसला नहीं हो पा रहा था कि इसका फैसला कैसे किया जाए।
जिस महिला के पास यह तोता अभी तक था उसका कहना है कि वह इसे पांच साल से पाल रही है, जबकि उसे अपना तोता बताने वाली महिला के मुताबिक यह तोता दो साल पहले उसके घर से उड़ गया था। फिलहाल कोई राह नहीं सूझने पर थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने एक युक्ति सुझाई और वह काम कर गई। थानाध्यक्ष ने कहा, यह तोता जिसका नाम ले लेगा, तोता उसी को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद तोते से उसके असली मालिक का नाम बोलवाया गया और तोता इस परीक्षा में 100 नंबर से पास हो गया। दो साल बाद तोते को लेकर असली मालकिन अपने घऱ चली गई।
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यह मामला शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के भड़िवार गांव का है। जानकारी के मुताबिक भड़िवार की एक बूटी नामक युवती ने रविवार को 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी कि उसका पालतू तोता 2 साल पहले खो गया था। अब उसका तोता गांव की ही दूसरी महिला जबरिया अपने पास रखा हुआ है। इस सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों की बात सुनी, लेकिन मौके पर दोनों पक्ष तोते को अपना बताते रहे। यह देखकर डायल 112 की पुलिस टीम ने तोता और दोनों पक्षों को थाने पहुंचा दिया।
थाने में एसओ शंकरगढ़ मनोज कुमार सिंह ने दोनों पक्ष से बराबर पूछताछ की। भड़िवार की रहने वाली बूटी ने बताया कि यह तोता उसका है, जो दो साल पहले उड़ गया था। जबकि बूटी के घर से तकरीबन एक किलोमीटर के फासले की रहने वाली महिमा के मुताबिक यह तोता उसने पांच साल से पाल रखा है। चूंकि, दोनों पक्ष से तोते की दावेदार महिला ही थी, इस वजह से फैसला लेने में पुलिस को भी असहजता महसूस हो रही थी।
सब इंस्पेक्टर अमरेंद्र सिंह ने बताया कि इसके बाद कोई जुगाड़ काम नहीं करने पर एसओ ने दोनों महिलाओं से कहा कि वह अपने तोते से अपना (स्वयं का) नाम बोलवाएं। इस पर बूटी ने तोते से अपना नाम बोलवा दिया। जबकि तोता महिमा का नाम नहीं ले पाया। एक तोते के लिए शंकरगढ़ थाने में घंटों चली पंचायत के बाद तोता आखिरकार बूटी को सौंप दिया गया।