अवध

नगर पंचायत शंकरगढ़ः तीन दशक बाद भी हाशिये पर सामान्य दावेदार!

सदर बाजार के रहने वाले रोहित केसरवानी ने पूर्व के चुनावों का दिया हवाला

अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षण सीट को अनारक्षित किए जाने की मांग

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). संविधान ने समाज में सभी को बराबर हक दिया है। सभी को यह हक मिलना भी चाहिए। नगर निकाय चुनाव- 2023 को लेकर भी कुछ इसी तरह की चर्चाएं आम हैं। आरक्षण सूची जारी होने के बाद मनमुताबिक सीट नहीं मिलने पर अब दावेदारों की आस प्रदेश सरकार से बंध गई है। यमुनापार की नगर पंचायत शंकरगढ़ (Nagar Panchayat Shankargarh) के अध्यक्ष पद की कुर्सी साल 1990 में सामान्य के खाते में गई थी। इसके बाद से यह सीट लगातार आरक्षण के पिटारे में गोल-गोल घूम रही है।

स्थानीय दावेदारों की मानें तो साल 2017 के ही चुनाव में यहां की सीट को सामान्य सीट घोषित किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके खिलाफ तमाम आपत्तियां भी दाखिल की गई हैं, जिसमें कहा गया है कि नपं शंकरगढ़ के अध्यक्ष पद के लिए चक्रानुक्रम के मुताबिक यहां पर अनारक्षित सीट करके सातवीं बार चुनाव करवाया जाना न्याय संगत होता, लेकिन यहां की सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करके भारत के संविधान में निहित प्राविधानों के विपरीत कार्य करने का कार्य किया गया।

तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट का सेवन मतलब काल से पंगा लेनाः सीएमओ
यह जो Allahabad जंक्शन है, पहले कछपुरवा कहलाता थाः विनय कुशवाहा
योगी सरकार ने तोड़ी गुंडों, माफियाओं की कमरः असीम अरुण
सपा कार्यालय में मनाई गई महर्षि कश्यप एवं निषादराज की जयंती, निकली शोभायात्रा

साल 1990 में पहली दफा अनारक्षित सीट पर चुनाव करवाया गया, जिसमें ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह चेयरमैन चुने गए। इसके बाद 1995 में यहां की सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व की गई। दूसरे पंचवर्षीय में लल्लू कनौजिया ने अध्यक्ष की कमान संभाली। जबकि 2000 में तीसरी बार चक्रानुक्रम के मुताबिक यह सीट अनुसूचित जाति महिला के खाते में दे दी। इसके बाद तृतीय पंचवर्षीय में लीलावती कनौजिया (पत्नी पूर्व चेयरमैन लल्लू कनौजिया) ने चुनाव जीता और पांच साल नगर पंचायत की देखभाल की।

इसके बाद साल 2006 में यह सीट महिला के खाते में चली गई। चौथे पंचवर्षीय में रेखा केसरवानी ने चुनाव जीता। इसके पश्चात चक्रानुक्रम के आधार पर पांचवी दफा (वर्ष 2012) यह सीट पिछड़ा वर्ग महिला के खाते में दी गई। इस बार अनुपमा वैश्य ने नगर पंचायत की कमान संभाली। जबकि 2017 के चुनाव में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए निर्धारित चक्रानुक्रमके अनुसार आरक्षण नहीं किया गया और फिर से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्वकर दी गई और 2017 के चुनाव में लल्लू कनौजिया एक बार फिर से यहां के चेयरमैन बने।

दस वर्ष में घटी अनुसूचित जाति की संख्याः  रोहित केसरवानी की तरफ से भेजी गई आपत्ति में अनुसूचित जाति की आबादी का भी जिक्र किया गया है। बताया गया हैकि साल 2022-23 में चक्रानुक्रम के विपरीत जाकर यहां की सीट (अनुसूचित जाति के बाद) अनुसूचित जाति महिला के लिए रिजर्व कर दी गई। जो आरक्षण, चक्रानुक्रम, ट्रिपल टेस्ट व नये अधायदेश 2023 के विपरीत है। बताया है कि शंकरगढ़ नगर पंचायत में जातीय गणना (2011) रिपोर्ट, उसमें अनुसूचित जाति की संख्या 4087 दर्शाई गई है। जबकि नगर पंचायत की नई वोटर लिस्ट (2023) में अनुसूचित जाति की कुल संख्या 2400-2500 के बीच है।

छह अप्रैल तक ली जाएंगी आपत्तियांः फिलहाल सामान्य सीट की उम्मीद में बैठे रोहित केसरवानी, दिनेश तिवारी, आशीष केसरवानी, दीपक केसरवानी समेत दर्जनभर दावेदारों की तरफ से आपत्तियां भेजी गई हैं। फिलहाल, छह अप्रैल तक आपत्तियां लिए जाने का समय निर्धारित किया गया है। शासन द्वारा जारी की गई आरक्षण सूची में संशोधन के उपरांत ही यहां के दावेदारों का राजनैतिक भविष्य निर्भर करेगा। हालांकि, यदि यहां की सीट चक्रानुक्रम के अनुसार लगातार दूसरी बार भी सामान्य घोषित नहीं की जाती तो यहां के दावेदारों को दूसरे विकल्प तलाशने होंगे। कुछ ने इसकी तैयारी भी अभी से शुरू कर दी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button