अवधराज्य

इन उपायों को अपनाकर हीटवेव से करें खुद की सुरक्षा, पशु-पक्षियों की भी करें देखभाल

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). गर्मी पूरे उफान पर है। बीते 24 घंटे में हीटवेव से होने वाली जनहानि की जो सूचनाएं मिल रही हैं, उससे हर कोई परेशान है। प्रयागराज जनपद भी हीटवेव से तप रहा है। गर्मी की मार का असर न सिर्फ इंसान बल्कि पशु-पक्षियों, मवेशियों और वनस्पतियों पर भी देखा जा रहा है।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी/एडीएम विनय कुमार सिंह ने सभी जनपदवासियों से जरूरी उपाय अपनाने की अपील की है। बताया कि मौसम विभाग के द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक जून तक अत्यधिक तापमान रहने की आशंका है।

यहां का अधिकतम पारा 48 डिग्री के पार जाकर अपना रौद्र रूप दिखा चुका है। हीटवेव से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग जागरुकता अभियान चला रहा है। वातावरण का तापमाप 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक हो जाए तो उस स्थिति हीटवेव या लू कहते हैं। पूर्वानुमान के मुताबिक गर्मी का प्रकोप अभी बना रहेगा, इसलिए एहतियात बरतनाबेहद जरूरी है।

बच्चों व पेट्स को गाड़ी में अकेला न छोड़ें

पहली बात तो यही है कि हीटवेव की स्थिति में आवश्यक न हो तो सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक बाहर निकलना अवाइड करें। बच्चों और पालतू जानवरों को कभी भी बंद वाहन में अकेला न छोड़ें। दिन का समय निचली मंजिल पर बिताएं। संतुलित, हल्का भोजन करें। मांस-मदिरा से दूरी बनाएं।

घर से बाहर निकलते समय शरीर और सिर को ढककर रखें। घर में बने पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छाछ, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है।

बच्चों और बुजुर्गों की सेहत का रखें ध्यान

हीटवेव (लू) का असर उन लोगों पर ज्यादा दिखता है, जो शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। इसलिए 65 वर्ष या इससे अधिक के बुजुर्गों की विशेष केयर की जरूरत होती है। पांच साल से कम आयु के बच्चों पर भी ध्यान दें। गर्भवती महिलाएं, कृषि, निर्माण श्रमिक, मजदूर, शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति हीटवेव की चपेट में जल्द आ सकते हैं। इसलिए यह हर वक्त सतर्क और सावधान रहें।

किसी भी तरह की समस्या होने पर एंबुलेंस 108, पुलिस -112, राहत आयुक्त कार्यालय 1070 (टोल-फ्री), जिला इमरजेंसी आपरेशन सेंटर (कंट्रोल रूम) के नंबर 0532.2641577 और 0532.2641578 पर काल करें। मौसम का पूर्वानुमान जानने के लिए समाचार पर नजर बनाए रखें।

प्यास न लगी हो तब भी पानी पीते रहें

भीषण गर्मी की स्थिति में शरीर को नम रखना बहुत जरूरी होता है। चूंकि, गर्मी की चपेट में आने से शरीर की नमी बहुत जल्द सूखने लगती है, इसलिए पर्याप्त पानी पीयें। प्यास न लगी हो तब भी अंतराल देकर पानी का सेवन करते रहें। खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस, लस्सी, चावल का पानी, नींबू का पानी, छाछ जैसे घरेलू पेय का प्रयोग करें।

हल्के रंग वाले सूती ढीले-ढाले कपड़े पहनें। बाहर निकलने से पहले सिर को टोपी, गमछा या छतरी से कवर करना न भूलें। हाथ को साबुन और पानी से बार-बार धोएं। अधिक परिश्रम वाले कार्यों को सुबह-शाम में करें या करवाएं।

पेशाब का गहरा रंग डिहाइड्रेशन की निशानी

शिशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। गर्मी की वजह से शिशुओं में होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें। यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा हो तो इसका मतलब है कि वह डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार है। धूप में खड़ी गाड़ी में तुरंत सवारी न करें। बैठने से पहले दरवाजे कुछ देर के लिए खोल दें। पार्किंग के समय बंद गाड़ी में न बैठें और न ही बच्चों को छोड़ें।

इसी तरह पशुओं के लिए भी सतर्कता जरूरी है। पालतू पशुओं को घर के भीतर या छाया में रखें। स्थान ऐसा हो, जहां वहआराम कर सकें। दिन में लगातार उन्हे भी पानी पिलाते रहें। जानवरों को भी पीने के लिए ताजा पानी दें। ताजा पानी उपलब्ध न हो तो दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डाल सकते हैं।

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