राजस्व परिषद के सचिव एवं आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को दिया निर्देश
प्रयागराज (राहुल सिंह). मंडल मुख्यालय, कलेक्ट्रेट और तहसील मुख्यालयों को दलालों (प्राइवेट या निजी कर्मियों) के चंगुल से मुक्ति दिलाने केलिए आए दिन ऊपर से आदेश जारी होते रहते हैं, पर निचले स्तर पर इसका अनुपालन नहीं किया जाता।
26 जुलाई, 2024 को राजस्व परिषद के आयुक्त/सचिव के द्वारा सूबे के सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे गए पत्र में मंडल, कलेक्ट्रेट व तहसील मुख्यालयों से प्राइवेट-निजी कर्मचारियों से मुक्त किए जाने का आदेश दिया गया है। निर्देशित है कि यदि इस आदेश पर अमल नहीं किया जाता तो अगली बार से ऐसी शिकायतों के संज्ञान में आने पर संबंधित के खिलाफ कठोर कार्य़वाही अमल में लाई जाएगी, जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार होंगे।
अपर आयुक्त अनिल कुमार यादव (भूमि व्यवस्था) के हवाले से जारी निर्देश में यह भी उल्लेख है कि इस तरह का आदेश पहले भी दिया जा चुका है। बावजूद इसके मुख्यालयों पर प्राइवेट-बाहरी व्यक्तियों से काम लिए जाने की शिकायतें अनवरत प्राप्त हो रही है। सरकार के दफ्तरों इस तरह की स्थिति किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि प्राइवेट और बाहरी लोगों के द्वारा कार्य करवाए जाने की शिकायत आए दिन कोरांव तहसील से कीजाती रही है। कोरांव तहसील मुख्यालय पर दूरदारज से आने वाले फरियादियों की सुनवाई नहीं हो रही है। जब भी फरियादी अपनी पीड़ा लेकर एसडीएम के साथ मिलना चाहते हैं तो मुलाकात संभव नहीं हो पाती।
फरियादियों का प्रार्थनापत्र तहसील परिसर में घूमने वाले दलाल किस्म के लोग ले लेते हैं। तहसील प्रशासन के इन हालातों को लेकर क्षेत्रीय लोगों के साथ-साथ फरियादियों में रोष बढ़ता जा रहा है। अधिवक्ताओं का बड़ा वर्ग इससे नाराज दिख रहा है। लोगों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस मामले पर ध्यान देने की गुजारिश की है।
नहीं उठा उपजिलाधिकारी कोरांव का फोन
इस प्रकरण को लेकर जब कोरांव की उपजिलाधिकारी से मोबाइल पर संपर्क किया या तो उनका फोन नहीं उठा। फोन नहीं उठने के कारण उनका पक्ष नहीं रखा जा सका। तहसील के अधिवक्ताओं ने भी आरोपित किया है कि एसडीएम का फोन नहीं उठता है। जबकि प्रदेश सरकार का स्पष्ट आदेश है कि सभी जिम्मेदार अधिकारी यथासंभव फोन रिसीव करें। अगर फोन रिसीव नहीं हो पाया हो तो कालबैक कर जानकारी लें।