पूर्वांचल

CHC अधीक्षक ने मिर्जापुर रेफर किया और आशा ने OPD चलाने वाले क्लीनिक में आपरेशन करवाया

भदोही (विष्णु दुबे). सीएचसी औराई के प्रभारी अधीक्षक (CHC superintendent) डा. समीर उपाध्याय ने डाक्टर (निश्चेतक) के उपलब्ध नहीं होने पर एक गर्भवती को मिर्जापुर (Mirzapur) के लिए रेफर किया, लेकिन साथ आई आशा ने उक्त गर्भवती का एक ऐसे निजी अस्पताल में पेट फड़वा दिया, जिसका नर्सिंग के लिए पंजीकरण भी नहीं है। ताज्जुब की बात यह है कि यूपी के इतने बड़े स्वास्थ्य सिस्टम के पास वक्त जरूरत पर न तो डाक्टर मिलते हैं और न ही स्वास्थ्य सेवाएं। वहीं दूसरी तरफ बिना किसी संसाधन के चलने वाले छोटे-मोटे क्लीनिक भी हर वक्त, हर तरह के इलाज के लिए तैयार हो जाते हैं, जैसा कि इस केस में देखने को मिला।

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यूपी की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की निरंकुशता और बदहाली को दर्शाने के लिए यह तो उदाहरण मात्र है। रोजाना इस तरह के दर्जनों केस सामने आते हैं, लेकिन हर केस में न तो इस तरह कोई शिकायत करने वाला सामने आता है और न ही शासन-प्रशासन कोई तवज्जो देता है।

सीएचसी औराई से जुड़ा यह मामला 21 नवंबर की शाम का है। जानकारी के मुताबिक संतोष चौहान की पत्नी मुनिया देवी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे सीएचसी औराई लाया गया। यहां पर मुनिया देवी के साथ स्थानीय आशा बहू भी साथ थी। जांच के दौरान पता चला कि मुनिया देवी का प्रसव आपरेशन से ही संभव है। इस पर सीएचसी औराई की तरफ से मुनिया देवी का प्रसव करवाने से मना कर दिया गया और उसे जिला महिला अस्पताल मिर्जापुर के लिए रेफर कर दिया गया।

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इसके बाद साथ रही आशा बहू ने गर्भवती मुनिया देवी को औराई में ही स्थित एक निजी हास्पिटल मनीष क्लीनिक में एडमिट करवा दिया, जहां पर मुनिया देवी का आपरेशन से प्रसव करवाया गया। यह तक, सबकुछ नार्मल सा प्रतीत हो रहा है, लेकिन यह सारा खेल पैसे का है। अगर मुनिया देवी को जिला अस्पताल मिर्जापुर पहुंचा दिया जाता तो मनीष क्लीनिक और मेडिकल स्टोर से मिलने वाला कमीशन कैसे मिलता। दूसरी तरफ उक्त प्रकरण की जानकारी होने पर औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर ने तत्काल सीएम, डिप्टी सीएम से शिकायत की और ई-मेल भी किया।

शासन का फरमान आते ही रात में ही सीएमओ डा. संतोष कुमार चक, तहसीलदार औराई मौके पर पहुंच गए और लीपापोती शुरू कर दी। कुछ कार्रवाई के नाम पर इस पूरे प्रकरण को तथाकथित कार्रवाई की चादर में लपेटकर मीडिया के सामने भी प्रस्तुत कर दिया गया। मुनिया देवी का यह केस हमारे समाज के लिए न तो नया है और न ही पहला। इस तरह के तमाम केस रोजाना आते-जाते रहते हैं वह भी सरकारी सिस्मट की निगरानी में। इस मामले में समस्या सिर्फ इतनी हो गई कि मामले में विधायक ने शिकायत कर दी।

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