Karva Chauth Special: 13 बरस बाद बना अद्भुत संयोग, खुशियों से भर जाएगा दांपत्य जीवन
अपनी राशि में विराजमान हैं देवगुरु बृहस्पति, बुध और शनि, दूर होंगी दांपत्य जीवन की तमाम अड़चने
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). सुहागिन महिलाओं (married women) का त्योहार करवाचौथ (karva chauth) इस बार 13 अक्टूबर (कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी) को पड़ रहा है। आमतौर पर करवा चौथ का व्रत शारदीय नवरात्रि (Sharadi Navratri) के दस दिन बाद और दीपावली (Diwali) के 10-11 दिन पहले आता है। इस त्योहार को लेकर महिलाओं में खासा क्रेज रहता है। इस बार करवा चौथ पर खास संयोग (Special coincidence) बन रहा है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि (चंद्रमा की उच्च राशि) में रहेंगे। इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी है। ऐसे में इन दोनों योगों के कारण इस समय में की गई पूजा बहुत शुभ और फलदाई होगी।
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उक्त जानकारी देते हुए पंडित त्रियुगीकांत मिश्र ने बताया कि इस समय गुरुदेव बृहस्पति (Gurudev Jupiter), बुध ( Mercury ) और शनि (Saturn) स्वग्रही (self-centered) हैं, अर्थात उक्त तीनों ग्रह अपनी ही राशि में विराजमान हैं। इससे सुख-सौभाग्य आसानी से मिलता है। सूर्य और बुध भी एक साथ हें और उन पर गुरु का प्रभाव रहेगा। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। एक दूसरे पर भरोसा बढ़ेगा। शुक्र-बृहस्पति का संबंध भी इस पर्व पर बना रहेगा, जिससे इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ की गई मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। 13 साल के बाद मीन राशि का बृहस्पति इस पर्व को और खास बना रहा है।
करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। सुहागिन महिलाओं में इस व्रत को लेकर खासा क्रेज रहता है। हिंदू धर्म में करवाचौथ का व्रत सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल करवाचौथ का व्रत 13 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन कई अद्भुत संयोग भी इस व्रत को खास बना रहे हैं। इस व्रत में सुहागिनें दिनभर का निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चंद्रदर्शन के बाद पति के हाथ से ही पानी पीती हैं।
करवाचौथ 2022 पर पूजन का समयः करवाचौथ के मौके पर चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर को रात 1.59 बजे लग जाएगी, जो 14 अक्टूबर को सुबह 3.08 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि 13 अक्टूबर को पड़ेगी।पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में 4.41 बजे से 5.31 बजे शाम तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11.44 बजे (सुबह) से 2.49 बजे (दोपहर) तक है। इसी तरह विजय मुहूर्त 2.03 बजे दोपहर से 2.49 बजे तक है। जबकि गोधूलि मुहूर्त 5.42 बजे शाम से 6.06 बजे शाम तक रहेगा। अमृत काल 4.06 बजे शाम से लेकर 5.50 बजे शाम तक रहेगा और चंद्रोदय रात 7:55 बजे होगा।
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करवाचौथ के मौके पर चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली को सजाएं, फिर थाली में दीपक, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें। 16 श्रृंगार करें और करवा में जलभर कर मां गौरी और गणेश की पूजा करें। चंद्रमा के निकलने पर चलनी (छन्नी) से या जल में चंद्रमा को देखें और अर्घ्य दें। करवाचौथ व्रत की कथा सुनें। इसके पश्चात पति के दीर्घायु और सौभाग्य की कामना करें। श्रृंगार की सामग्री का दान करें। सास से आर्शीवाद लें। यह व्रत सुहागिन महिलाओं का साथ-साथ जिनका रिश्ता तय हो चुका है,वह भी रख सकती हैं।
राशि के अनुसार करें रंगों का चयनः पूजा के लिए करवा सोना, चांदी, पीतल व मिट्टी का होना चाहिए। लोहे या एल्युमिनियम का करवा इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसके अलावा राशि अनुसार परिधान भी धारण कर सकते हैं। पंडित त्रियुगीकांत मिश्र के मुताबिक मेष राशि की महिलाएं लाल, गुलाबी व नारंगी, वृषभ राशि के लिए सफेद व क्रीम, मिथुन के लिए हरा व फिरोजी, कर्क राशि के लिए सफेद व क्रीम, सिंह- केसरिया, लाल व गुलाबी, कन्या राशि के लिए हरा व फिरोजी, तुला के लिए सफेद व हल्का नीला, वृश्चिक के लिए नारंगी, लाल व गुलाबी, धनु के लिए पीला व सुनहरा, मकर व कुंभ के लिए भूरा, स्लेटी व ग्रे और मीन राशि वाली महिलाएं पीला व सुनहरा वस्त्र धारण कर सकती हैं।