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कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने सभी पदों से दिया इस्तीफा

पांच पेज के इस्तीफे में लिखा- बहुत भारी मन से छोड़ रहा हूं कांग्रेस पार्टी

नई दिल्ली (the live ink desk). कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने सभी पदों पदों से इस्तीफा दे दिया है। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की घोषणा करने के साथ-साथ पांच पेज का इस्तीफा भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है।

उन्होंने कहा कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का पिछले काफी दिनों से अपमान किया जा रहा है। कहा कि रिमोट से चलने वाली कांग्रेस पार्टी अब कभी खड़ी नहीं हो सकती। कहा कि राहुल गांधी अध्यक्ष थे तो उनका पीए और सिक्योरिटी गार्ड फैसले लेता था। पार्टी की टॉप लीडरशिप कांग्रेस पार्टी को लेकर गंभीर नहीं है। आजाद ने कहा कि मेरे सुझाव को राहुल गांधी ने नजरअंदाज किया। अब कांग्रेस में न इच्छा शक्ति बची न ही काबिलियत। संगठन के अंदर चुनाव का ड्रामा हो रहा है। सभी बड़े नेताओं को किनारे कर दिया गया है।

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आजाद ने राहुल गांधी को ठहराया जिम्मेदारः कहा, जी-23 नेताओं के सुझाव को राहुल गांधी ने नहीं माना। पार्टी के मौजूदा हालात के लिए आजाद ने राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। अभी कुछ दिन पहले ही गुलाम नबी आजाद ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कश्मीर यूनिट के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों की मानें तो गुलाम नबी आजाद काफी दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे। वह पार्टी के कामकाज के तौर-तरीकों, नीतियों से असंतुष्ट चल रहे थे। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी से वरिष्ठ नेता एवं वकील कपिल सिब्बल ने भी किनारा कर लिया था। आजाद पार्टी के अंदर बड़े पैमाने पर बदलाव चाहते थे। फिर चाहे वह संगठन के स्तर पर हो बूथ स्तर पर हो या फिर राष्ट्रीय स्तर पर। इस पर उनका कहना था कि मेरे इन सुझावों को राहुल गांधी ने कोई महत्व नहीं दिया।

अब चापलूसों को दी जा रही प्राथमिकताः आगे उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। पांच पेज के इस्तीफे में आजाद ने इंदिरा गांधी से भी अपने संबंधों का जिक्र किया है। पत्र में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी में ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां से वापस लौटना मुश्किल है। पत्र में आजाद ने लिखा है कि कांग्रेस की यह स्थिति आज इसलिए हुई है, क्योंकि आठ वर्ष से एक ऐसे व्यक्ति को आगे किया जा रहा है, जो अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कभी गंभीर नहीं हुआ। अब पार्टी में चापलूसों को प्राथमिकता दी जा रही है।

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सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है वह, यह इस्तीफा भारी मन से दे रहे हैं। कांग्रेस के लिए एक हफ्ते में यह दूसरा झटका है। कुछ दिन पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश की संचालन समिति प्रमुख से इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बतायाः आजाद के द्वारा कांग्रेस पार्टी से सभी पदों से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और अजय माकन ने इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। अजय माकन ने कहा कि आजाद साहब कांग्रेस पार्टी के बहुत ही वरिष्ठ नेता थे। वह कांग्रेस पार्टी के अंदर और प्रशासन में देश और प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के माध्यम से उन्होंने कई बड़े पदों को सुशोभित किया। यह बहुत दुख की बात है कि आजाद साहब ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का फैसला किया है और इस लड़ाई को भी छोड़ने का फैसला किया है। यह हमारे लिए बहुत ही दुख की बात है।

गुलाम नबी आजाद का राजनीतिक करियरः जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के एक गांव में 7 मार्च 1949 को जन्मे गुलाम नबी आजाद राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उस समय आए जब 1980 में उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1980 में ही वह महाराष्ट्र के वाशिम लोकसभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार संसद पहुंचे और 1982 में उन्हें इंदिरा गांधी की सरकार में विधि न्याय और कंपनी मामलों का उप मंत्री बनाया गया। 1985 में वह दोबारा संसद के लिए चुने गए। 1990 से 96 तक वह राज्यसभा सांसद रहे। नरसिम्हा राव सरकार में वह संसदीय कार्य और उड्डयन मंत्री रहे। दो नवंबर 2005 को वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। यह सरकार पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी के साथ मिलकर बनाई थी। कार्यकाल पूरा होने के पहले ही 2008 में पीडीपी के समर्थन वापस लेने से सरकार गिरने की नौबत आ गई।

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…तो 50 वर्ष तक विपक्ष में बैठेगी कांग्रेसः जुलाई 2008 में गुलाम नबी आजाद ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, बाद में वह मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने। 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तो विपक्ष की तरफ से गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा का नेता विपक्ष बनाया गया, फिर 2015 में कश्मीर से उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। एक समय गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी के बहुत ही करीबी थे कुछ दिन पहले ही आजाद ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था की कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस पार्टी 50 साल तक विपक्ष में ही बैठेगी।

अपने इस्तीफे के लिए गुलाम नबी आजाद ने सीधे-सीधे राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। गुलामनबी आजाद के अलावा पार्टी के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

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