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दवा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं, दवाओं पर बचे 30,000 करोड़ रुपये

The live ink desk. प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना का दायरा अभी भले ही उतना मजबूत न हुआ, पर कम दायरे में रहकर ही इस योजना के मार्फत भारत के आम लोगों के 30,000 करोड़ रुपये बचे हैं। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा में जन औषधि केंद्र (PMBJP) के तहत आपूर्ति की जाने वाली दवाइयों के बारे में जानकारी दे रहे थे।

जेपी नड्डा ने कहा, जन औषधि केंद्रों पर बिकने वाली दवाओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदा जाता है, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। गोदामों में पहुंचने के बाद दवाओं के प्रत्येक बैच का परीक्षण ‘राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (NABL) की मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है।

गुणवत्ता परीक्षण पास करने के बाद ही दवाओं को जन औषधि केंद्रों (JAK) में भेजा जाता है। गुणवत्ता मापदंडों को पूरा न करने वाले किसी भी बैच को आपूर्तिकर्ता को वापस कर दिया जाता है। जेएके (JAK) के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है।

नड्डा ने कहा, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी, फार्मास्यूटिकल्स एवं मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों जैसे प्रिंट मीडिया, रेडियो विज्ञापन, टीवी विज्ञापन, सिनेमा विज्ञापन और आउटडोर प्रचार जैसे होर्डिंग्स, बस क्यू शेल्टर ब्रांडिंग, बस ब्रांडिंग, ऑटो रैपिंग आदि के माध्यम से पीएमबीजेपी की विशेषताओं और जन औषधि जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में लोगोंको जागरुक कर रही है।

13113 हुई जन औषधि केंद्रों की कुल संख्या

इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल्स एवं मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से नियमित रूप से जन औषधि जेनेरिक दवाओं के लाभ के बारे में जनता को जागरुक कर रहा है। इसके अलावा, पीएमबीआई (PMBI) हर साल सात मार्च को जन औषधि दिवस का आयोजन करता है। जन औषदि केंद्रों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। 31 जुलाई, 2024 तक आकांक्षी जिलों में 912 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जिनमें पिछड़े और अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल क्षेत्र भी शामिल हैं। अब कुल संख्या 13113 हो गई है।

औषधि केंद्रों से बेची गई 5600 करोड़ की दवाएं

जन औषधि केंद्रों के माध्यम से बेची जाने वाली दवाओं और अन्य वस्तुओं की बिक्री 2014 के 7.29 करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2024 तक 1470 करोड़ रुपये हो गई है। जन औषधि केंद्रों की संख्या 2014 के 80 से बढ़कर 31 जुलाई 2024 तक 13113 हो गई है, जो इस योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है। पिछले 10 वर्षों में, जेएके के माध्यम से 5,600 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री की गई है, जिससे उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

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