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किसानों को लुभा रही नगदी फसल, 4065 हजार टन बढ़ा प्रोडक्शन

साल 2021-22 के मुकाबले 2023-24 में 721 हजार हेक्टेयर ज्यादा बोई गई फसल। बड़े पैमाने पर की जा रही गन्ना, कपास, जूट और मेस्ता की खेती

The live ink desk. पारंपरिक खेती से इतर भारत का किसान कैश क्राप (नगदी फसल) की तरफ लगातार ध्यान केंद्रित कर रहा है। साल 2021-22 के मुकाबले साल 2023-24 में ज्यादा रक्बे (721.03 हजार हेक्टेयर) पर बुवाई की गई और प्रोडक्शन (4065 हजार टन) भी अच्छा-खासा हुआ।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चार जून, 2024 को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के अनुसार, नकदी फसलों (कैश क्राप) का क्षेत्रफल कृषि वर्ष 2021-22 में 18,214.19 हजार हेक्टेयर से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 18,935.22 हजार हेक्टेयर हो गया।

पिछले तीन वर्षों का राज्यवार ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है। इस दौरान नकदी फसलों (गन्ना, कपास, जूट और मेस्ता) का उत्पादन भी कृषि वर्ष 2021-22 में 4,80,692 हजार टन से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 4,84,757 हजार टन हो गया।

नीति आयोग के कार्य समूह की रिपोर्ट ( 2018) में कहा गया था कि भविष्य के वर्ष 2032-2033 के लिए खाद्यान्न की मांग और आपूर्ति क्रमशः 337.01 मिलियन टन और 386.25 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो दर्शाता है कि खाद्य सुरक्षा के मामले में हमारे समग्र खाद्यान्न की स्थिति बहुत अच्छी रहेगी।

कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) देश के सभी 28 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) लागू कर रहा है।

एनएफएसएम (NFSM) में छोटे एवं सीमांत किसानों को उन्नत पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज किस्मों के बीजों का वितरण, उन्नत फार्म मशीनरी/संसाधन, पौधा संरक्षण उपाय, पोषक तत्व प्रबंधन, मृदा सुधार, प्रसंस्करण और कटाई के बाद के उपकरण, किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण जैसी सहायता प्रदान की जाती है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR),  राज्य कृषि विश्वविद्यालय (SAU) और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के विषय विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों के द्वारा भी किसानों को समय-समय पर जानकारी, सहायता प्रदान की जाती है।

किसान हितों को देखते हुए सरकार ने 22 अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) की घोषणा की। 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत का 1.5 गुना के स्तर पर रखने के लिए पूर्व-निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी। तदनुसार, सरकार कृषि वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ नकदी सहित सभी अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी घोषित कर रही है।

खेती-किसानी को समृद्ध कर रहीं यह योजनाएं

किसान हितों को देखते हुए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, ताकि किसानों की आर्थिक सेहत सुधरे और खेती-किसानी को भी जीवन मिले। इन योजनाओं में पीएम किसान के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBI), कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण, देश में जैविक कृषि को बढ़ावा, ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’, सूक्ष्म सिंचाई कोष, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को बढ़ावा देना, कृषि मशीनीकरण, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) विस्तार प्लेटफार्म की स्थापना, कृषि अवसंरचना निधि (AIF), कृषि उपज परिचाल में सुधार, किसान रेल की शुरुआत, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्ट-अप इको सिस्टम का निर्माण, कृषि और संबद्ध कृषि-वस्तुओं का निर्यात और केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ शामिल है।

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