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Mango Season: दशहरी, चौसा, तोतापारी, अल्फांसो को देखते ही मचल उठता है मन

एक पखवारे के अंदर बाजार में उपलब्ध होगा स्थानीय आम, गिरेंगे दाम

मुंडेरा मंडी में बाहर से आन वाले दशहरी और बादाम की हो रही बिक्री

The live ink desk. चौसा (Chausa), मलीहाबादी दशहरी (Dussehri), नीलम, तोतापारी (Totapari), हापुस, अल्फांसो (Alphonso), केसर, बांबे ग्रीन, लंगड़ा, सफेदा आदि ऐसे नाम हैं, जिन्हे सुनने मात्र से ही मुंह में पानी आ जाता है। सड़क से गुजरते हुए आम के बागान के किनारे छोटी-छोटी टोकरी में रसभरे, लाल-पीले आम देख अनायास ही गाड़ी की ब्रेक लग जाती है। प्राकृतिक खुशबू, रंग और देशीपन उस टोकरी तक खींच ले जाता है। हम सबका, आम है ही ऐसा। तभी तो आम फलों का राजा है और हमारा राष्ट्रीय फल भी।

इस समय शहर की मुंडेरा मंडी (Mundera Mandi) में बाहर (गैर प्रांतीय) से आने वाले आम की बहार (Mango Season) है। बाहर से दशहरी (Dussehri), बादाम (बैगनफली) के अलावा लालपट्टा, तोतापारी जैसी प्रजातियों के आम की आवक हो रही है। इसमें दशहरी और बादाम की आवक ज्यादा है और सस्ता होने के कारण बाजारों में गलियों में लगने वाले ठेले पर यही आम दिख रहा है। आम का थोक कारोबार करने वाले मुंडेरा मंडी के व्यापारी दीपू सोनकर ने बताया कि पिछले एक माह से मुंडेरा मंडी में बाहरी आम की आवक बनी हुई है। मुंडेरा मंडी पर जब लोकल आम आने लगेगा तो इसकी खपत भी बढ़ जाएगी और दाम भी काफी नीचे आएगा।

थोक व्यापारी अमित सोनकर ने बताया कि पिछले माहभर से मंडी में बाहरी आम आ रहे हैं। जबकि लगभग दस दिन के बाद, 20 मई के आसपास से मंडी में स्थानीय बागानों के आम आने लगेंगे। इस समय बाहर से आने वाला दशहरी 90-100 रुपये प्रति किलो और बादाम (बैगनफली) 60 रुपये प्रति किलो (फुटकर रेट) की दर पर बिक रहा है। आवक के हिसाब से यह रेट चढ़ता-उतरता रहता है। इस समय मुंडेरा मंडी में लगभग 30 टन आम की खपत हो रही है, जबकि स्थानीय आम उपलब्ध होन पर यही खपत कई गुना बढ़ जाती है।

भारतीय घरों में सालभर खाया जाता है आम

आम (Mango) एक ऐसा फल है, जिसे हर भारतीय बड़े ही चाव से खाता है और अलग-अलग प्रकार से आम का साल के बारहों महीने इस्तेमाल किया जाता है। गर्मी, यानी मार्च के बाद से जुलाई-अगस्त तक पूरे देश में पके आम की बहार रहती है। गांव की गलियों से लेकर देश में फैली बड़ी-बड़ी मंडियों तक आम की सोंधी महक फैली रहती है। प्रत्येक शाम बाजार से घर तक पहुंचने वाले झोले (थैले) में आम जरूर होते हैं। मार्केट में जब तक पका हुआ आम मिलता है, लोग इसका सेवन करते रहते हैं।

पके हुए आम को डायरेक्ट खाने के साथ-साथ मैंगो शेक, पन्ना (पना), स्लाइस के रूप में खाया जाता है। पके आम का सीजन चले जाने के बाद यही आम भारतीय घरों में अचार, छिलकी (एक प्रकार का अचार) चटनी, जैम, जेली, आदि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। खासकर उत्तर भारतीय घरों में साल के बारहों महीने आम का अचार उपलब्ध रहता है।

गर्मी का सीजन में (आखिरी दौर में, बरसात शुरू होने से पहले) अचार बनाने के लिए देशी आम को काटकर, अलग-अलग प्रकार के मसाले मिलाकर उसे सरसो के तेल में डुबोकर सालभर के लिए स्टोर कर लिया जाता है। किसी-किसी घर में तो आम के कई साल पुराने अचार खाने को मिल जाते हैं।

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