एम-सैंड का प्रयोग बढ़ने से पर्यावरण एवं नदियों के ईको-सिस्टम को नहीं होगा नुकसान, ई-अभिवहन प्रपत्र (ईएमएम-11) जारी करने की व्यवस्था को और सरल बनाया जाए
लखनऊ (The live ink desk). पर्यावरण और नदी की तलहटी को संरक्षित करने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार ने प्राकृतिक बालू के स्थान पर एम-सैंड को बढ़ावा देने की नीति पर काम करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को सरकारी आवास पर हुई बैठक में योगी आदित्यनाथ ने कहा, नदी से निकलने वाली रेत और मोरंग के स्थान पर ‘एम-सैंड’ (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित किया जाए। शीघ्र ही इसकी नीति घोषित की जाए।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यां की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि पर्यावरण एवं नदियों के ईको-सिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति दी जाए। इस दृष्टि से ‘एम-सैंड’ एक बेहतर माध्यम है। नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग के दृष्टिगत ‘एम-सैंड’ को नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे रोजगार के भी नये अवसर सृजित होंगे।
नई नीति पर चर्चा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि ‘एम-सैंड’ के गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा जुड़ी है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी ‘एम-सैंड’ निर्माता अपने उत्पाद के लिए बीआईएस प्रमाणीकरण करवाएं। नोडल विभाग के रूप में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ‘एम-सैंड’ के शीघ्र उत्पादन के लिए राज्य/जिला स्तर पर लाइसेंस धारकों से समन्वय स्थापित करे।
आम जनता को ‘एम-सैंड’ सुविधाजनक रूप से उपलब्ध हो सके और ‘एम-सैंड’ की कीमत प्राकृतिक बालू के सापेक्ष कम हो, इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। इससे जुड़ी इकाइयों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने खनन पट्टा धारकों की सुविधा के दृष्टिगत ई-अभिवहन प्रपत्र (ईएमएम-11) जारी करने की व्यवस्था को और सरल बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि रवन्ना जारी करने की प्रक्रिया जनपद स्तर से ही होनी चाहिए। इसके लिए एक समय-सीमा तय होनी चाहिए। निदेशालय से इसकी मॉनीटरिंग की जाए।
लोडिंग वाले स्थल पर हो ओवरलोडिंग की जांच
वर्तमान में खनिज परिवहन से जुड़े वाहनों की ओवरलोडिंग को सफलतापूर्वक रोकने के लिए टास्क फोर्स को और प्रभावी बनाया जाए। ओवरलोडिंग रोकने के लिए सबसे बेहतर है जीरो पॉइंट पर कार्रवाई की जाए। यानी खनन स्थल पर जहां से बालू, मोरंग, गिट्टी आदि वाहन में लोड किया जाता है, वहीं पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, परिवहन और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के स्थानीय अधिकारियों की सम्मिलित टीम एक टास्क फोर्स के रूप में प्रभावी कार्रवाई करे, साथ ही, बालू के परिवहन की जांच करते समय व्यवहारिकता के साथ कार्य किया जाए। अनावश्यक रूप से आमजन का उत्पीड़न न हो।
रियल टाइम ट्रैकिंग सिस्टम लगाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन पर ई-अभिवहन प्रपत्र (रवन्ना) तभी दिया जाए, जब वह वाहन खनन क्षेत्र के जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो।
ईंट भट्ठे लगाए जाने के लिए उर्वर भूमि के स्थान पर बंजर भूमि का ही उपयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए इस क्षेत्र के उद्यमियों से संवाद करें। उन्हें उर्वर भूमि का उपयोग न करने के लिए जागरूक करें।
645 स्थानों पर स्टोर की जा रही बालू
मुख्यमंत्री ने बरसात के मौसम में बालू की कीमतों को नियंत्रित रखने और इनके भंडारण व्यवस्था को बेहतर करने के निर्देश दिया। मुख्यमंत्री को बताया गया कि वर्ष 2023-24 में जहां 533 भंडारण स्थल थे, वहीं इस सत्र में 645 भंडारण स्थल हैं।
पिछले वर्ष के सापेक्ष भंडारण की मात्रा में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में 44,547 प्रवर्तन की कार्रवाई की गई थी, जबकि वर्ष 2023-24 में 57,539 कार्रवाई हुई। वहीं चालू वित्तीय वर्ष के मई माह तक 9,451 मामलों में प्रवर्तन की कार्रवाई हो चुकी है। लगातार हो रही इन कार्रवाइयों से अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगा है और राजस्व में वृद्धि भी हुई है।
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