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जल निगमः कागज पर ‘बहुत बड़ा’ निर्माण तो मौके पर मिले सिर्फ पिलर्स

आख्या में गलत रिपोर्टिंग कर अधिकारियों को गुमराह कर रहा जल निगम महकमा। प्रस्तावित स्थल पर टंकी का निर्माण न करवाकर दूसरे स्थान पर हो रहा निर्माण

प्रयागराज (राहुल सिंह). विकास खंड कोरांव के ग्रामसभा चंदापुर में बनाई जा रही पेयजल टंकी के संबंध में जल निगम (ग्रामीण), तुलापुर, झूंसी के अधिशाषी अभियंता प्रवीण कुट्टी ने अपनी आख्या दी है। जल निगम की यह आख्या और मौके पर करवाए गए कार्य से तनिक भी मेल नहीं खा रही है।

पीजी पोर्टल (भारत सरकार), डीएम, सीडीओ, डीपीआरओ और अधीक्षण अभियंता (जलनिगम) को प्रेषित आख्या में प्रवीण कुट्टी ने प्रस्तावित कार्यों का हवाला देते स्पष्ट लिखा है कि “वर्तमान तक वितरण प्रणाली 19.412 किमी और शिरोपरि जलाशय स्टेजिंग लेवल तक कार्य पूर्ण किया जा चुका है। इसके साथ ही हाउस कनेक्शन, अवशेष वितरण प्रणाली बिछाने, रोड रेस्टोरेशन एवं बाउंड्री वाल का कार्य प्रगति पर है”।

यह तो आख्या की बात हो गई। अब आप वह फोटो देख लीजिए, जो समाचार के साथ लगाई गई है। इस फोटो में कुछ पिलर के अलावा कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा है। मसला सिर्फ इतना है कि पूर्व में प्रस्तावित स्थल पर पेयजल टंकी का निर्माण न करवाकर आबादी से एक किलोमीटर दूर क्यों करवाया जा रहा है, जबकि इसमें लागत भी काफी आएगी। यह पैसा आम आदमी की जेब से जाएगा। इतनी दूर टंकी स्थापित होने के बाद इसकी सुरक्षा कौन करेगा। चोरी इत्यादि का डर हमेशा बना रहेगा।

पीएम, सीएम आदि से की गई शिकायत

इसके अलावा पेयजल सप्लाई जितना नजदीक से बेहतर रहेगी, उतना दूर से नहीं हो पाएगी। दूर की सप्लाई में पाइपलाइन के फटने और उसके अनुरक्षण पर काफी व्यय होगा, लोगों को परेशानी अलग से होगी।

इन्ही समस्याओं को देखते हुए ग्रामसभा मानपुर के प्रधान और ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी,जल जीवन मिशन (नई दिल्ली) आदि को जरिए रजिस्ट्री शिकायत की है और प्रस्तावित स्थल पर टंकी न बनाकर आबादी से काफी दूर बनाने का मामला उठाया है।

स्थान बदले जाने का जवाब दे जलनिगम

शिकायतकर्ता ग्राम प्रधान का कहना हैकि उनकी ग्राम पंचायत में सर्वे हुआ था। गाटा संख्या सहित स्थान का चयन कर लिया गया था, लेकिन बिना किसी सूचना के टंकी का स्थान परिवर्तित कर दिया गया। प्रधान ने कहा कि टंकी का स्थान बदले जाने के पीछे कुछ लोगों के साथ-साथ जलनिगम विभाग की भी मिलीभगत है। क्योंकि, विभाग ने स्थान परिवर्तित किए जाने के मामले पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है कि स्थान क्यों बदला गया। जबकि दूर टंकी बनाने से सिर्फ और सिर्फ खर्च और मुसीबतें बढ़ने वाली हैं।

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