पीएम ने रखी वाधवन बंदरगाह की आधारशिला, 76,000 करोड़ की लागत से होगा निर्माण
The live ink desk. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (30 अगस्त, 2024) को महाराष्ट्र के पालघर वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी। इस बंदरगाह परियोजना की अनुमानित लागत 76,000 करोड़ रुपये है। पूरी तरह से तैयार हो जाने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा बंदरगाह होगा।
बंदरगाह की आधारशिला रखने के साथ ही पीएम ने मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन किया और मछुआरों को ट्रांसपोंडर और किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए। प्रधानमंत्री ने 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, बीते दशक में भारत के तटों का अभूतपूर्व विकास हुआ। सरकार ने बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और जलमार्गों के विकास पर करोड़ों रुपये निवेश किए। इस क्षेत्र में निजी निवेश भी बढ़ा है, जिससे युवाओं को नये अवसर भी मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज भारत की प्रगति की यात्रा में एक ऐतिहासिक दिन है और एक विकसित महाराष्ट्र, एक विकसित भारत के संकल्प का एक अनिवार्य हिस्सा है। 76 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला बंदरगाह भारत को एक विश्व स्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार प्रदान करेगा। इस बंदरगाह से यह बड़े कंटेनर जहाजों की आपूर्ति के साथ बहुत बड़े मालवाहक जहाजों का आवागमन आसानी से हो सकेगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा, पालघर में आज जिस वाधवन पोर्ट की नींव रखी गई है, वह महाराष्ट्र के साथ-साथ देश की आर्थिक प्रगति में नई शक्ति भरेगा। नया भारत अपने गौरव और सामर्थ्य को पहचानता है, यही वजह है कि समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर में मील के नये पत्थर लगाए जा रहे हैं।
पीएम ने कहा कि वाधवन पोर्ट पर पूरी दुनिया की नजर नजर है। दुनिया में वाधवन पोर्ट की बराबरी करने वाले 20 मीटर जितनी गहराई वाले बहुत कम बंदरगाह हैं। इस पोर्ट के बनने के बाद पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल जाएगी। वाधवन पोर्ट को रेल और हाईवे कनेक्टिविटी से भी जोड़ा जाएगा। इस पोर्ट की वजह से तमाम नये व्यापार शुरू होंगे।
यहां, वेयरहाउसिंग के काम में बहुत तेजी आएगी और इसकी लोकेशन सोने पर सुहागा है। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे, सबकुछ बहुत पास है। पूरे साल यहां से कार्गो काआवागमन होगा और इसका सबसे ज्यादा लाभ महाराष्ट्र के लोगों को मिलेगा।
फिशरीज में 38,500 करोड़ रुपये का निवेश
उल्लेखनीय है कि मात्स्यिकी और जलीय कृषि, भारत में लगभग तीन करोड़ मछुआरों और मत्स्य किसानों को आजीविका प्रदान करता है। बीते एक दशख में फिशरीज सेक्टर में कई अहम रिफॉर्म किए गए। मात्स्यिकी क्षेत्र में भारत सरकार ने 2019 में मत्स्य पालन विभाग और नये मंत्रालय की स्थापना की, साथ मात्स्यिकी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया।
पीएम मोदी के विजन के तहत सरकार इस सेक्टर में 38,500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही है। मात्स्यिकी एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि के तहत ऋण लेना अब सरल और सहज हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना नई तकनीकों के उपयोग द्वारा उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने में अहम साबित हो रही है।
175 लाख टन का रिकार्ड मत्स्य उत्पादन
लगभग 44 हजार फिशिंग वेसल्स की सुरक्षित लैंडिंग और वर्किंग के लिए 113 फिशिंग हार्बर और फिश लैंडिंग सेंटर्स को मंजूरी दी गई है, जिससे 14 लाख मछुआरों और संबंधितों को फायदा पहुंचेगा।
इसी के साथ मत्स्य उत्पादन 175 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलीय कृषि उत्पादन व समुद्री खाद्य निर्यात दोगुना हो गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत एक नई उपयोजना है। इस नई उपयोजना को मंजूरी मिल गई है।