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विभाजन के वक्त बांग्लादेश में 27% हिंदू थे, आज 9% रह गएः अमित शाह

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थियों को सौंपा नागरिकता प्रमाणपत्र

कहा,- विपक्ष ने घुसपैठियों को अधिकार दिया, मगर शरणार्थियों को अधिकारों से वंचित रखा

The live ink desk. गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को 188 शरणार्थियों को नागरिकता का प्रमाणपत्र प्रदान किया। अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में CAA के तहत शरणार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित करते हुए शाह ने विपक्षी दल पर जमकर हमला बोला।

अमित शाह ने कहा कि सीएए (CAA) देश में बसे लाखों लोगों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि न्याय और अधिकार देने का कानून है। पिछली सरकारों ने तुष्टिकरण के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण मांगने वालों को अधिकार और न्याय नहीं मिला। इन्हे पड़ोसी देशों में प्रताड़ना सहनी पड़ी।

शाह ने कहा कि ये लाखों-करोड़ों लोग तीन-तीन पीढ़ियों तक न्याय के लिए तरसते रहे, लेकिन विपक्ष तुष्टिकरण की नीति पर काम करता रहा। आज इन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्याय देने का काम किया। कहा, आज़ादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया और उस समय भीषण दंगे हुए।

इस दंगे में सताए गए पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और इसाई अपनी वेदना नहीं भूल सकते। उस वक्त विभाजन का फैसला करते हुए तत्कालीन सरकार ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और इसाई संप्रदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

बाद में चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता अपने वादों से मुकरते गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए इन वादों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने इन लोगों को इसी लिए नागरिकता नहीं दी, सिर्फ इसलिए कि इससे उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा।

करोड़ों लोग भागकर आए, लेकिन उन्हें नागरिकता तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 1947 से 2019 और 2019 से 2024 तक की यात्रा को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। कहा कि जो लोग अपना आत्मसम्मान बचाने यहां आए हैं, उन्हें क्यों इस देश की नागरिकता नहीं मिल सकती।

शाह ने कहा कि एक ओर तो पिछली सरकारों ने करोड़ों लोगों को सीमापार से घुसपैठ कराकर अवैध रूप से भारत का नागरिक बना दिया, तो दूसरी ओर कानून को मानने वाले लोगों से कहा गया कि इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

सीएए नागरिकता देने का कानून, लेने का नहीं

कहा कि कानून लोगों के लिए होता है न कि लोग कानून के लिए होते हैं। हमने 2014 में वादा किया था कि हम सीएए (CAA)  लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार इस कानून को लेकर आई। इस कानून से करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिखों को न्याय देने की शुरूआत हुई। शाह ने कहा कि ये कानून 2019 में पारित हुआ था लेकिन उसके बाद भी सबको भड़काया गया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी।

गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि हमारे ही देश के लोग हमारे ही देश में निराश्रित बनकर रह रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य और विडंबना क्या हो सकती है।

अल्पसंख्यकों को भड़काकर दंगा भी करवाया

शाह ने कहा कि 2019 में कानून पारित होने के बाद भी 2024 तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं मिली, क्योंकि देश में दंगे कराए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि CAA को लेकर देश में अफवाह फैलाई गईं। इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाती और ये हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है।

कहा, आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेझिझक आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

राममंदिर, काशी, पावागढ़ शक्तिपीठ का किया जिक्र

अमित शाह ने कहा, जब विभाजन हुआ था तब बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे, आज 9% रह गए हैं, बाकी कहां गए। उन्होंने कहा कि वहां उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और यहां हमारी शरण में आए लोगों को क्या अपनी इच्छा के अनुसार वहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी देश में सम्मान के साथ नहीं जी सकते और हमारी शरण में आते हैं तो हम मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते।

शाह ने राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, पावागढ़ शक्तिपीठ, तीन तलाक, धारा 370 का भी जिक्र करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। इस मौके पर गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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