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Operation Nanhe Farishte: RPF ने सात साल में 84,119 बच्चों का बचाया जीवन

The live ink desk. रेलवे की सुरक्षा में सदैव तत्पर आरपीएफ (RPF) के द्वारा आपरेशन नन्हे फरिश्ते (Operation Nanhe Farishte) चलाकर हजारों बच्चों का जीवन सुरक्षित किया। बीते साल साल के दरम्यान आरपीएफ ने देशभर के अलग-अलग स्टेशनों और ट्रेनों में खतरे में पड़े या खतरे में पड़ने से 84,119 बच्चों को बचाया है। यह आंकड़ा साल 2018 से मई 2024 तक का है।

आरपीएफ के आपरेशन नन्हे फरिश्ते (Operation Nanhe Farishte) के द्वारा बचाए गए प्रत्येक बच्चे की अपनी कहानी है। यह आरपीएफ की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण भी है। साल 2018 में ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ की शुरुआत की गई। इस वर्ष RPF ने कुल 17,112 बच्चों को बचाया। बचाए गए 17,112 बच्चों में से 13,187 बच्चों की पहचान भागे हुए बच्चों के रूप में की गई। 2105 लापता पाए गए। जबकि 1091 बच्चे बिछड़े हुए, 400 बच्चे निराश्रित, 87 अपहृत, 78 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 131 बेघर पाए गए।

वर्ष 2018 में आपरेशन की सफलता को देखते हुए इसे और मजबूती से लागू किया गया और अगले वर्ष यानी 2019 में कुल 15,932 बच्चों (बालक-बालिकाओं) को बचाया गया। बचाए गए 15,932 बच्चों में से 12,708 भागे हुए, 1454 लापता, 1036 बिछड़े हुए, 350 निराश्रित, 56 अपहृत, 123 मानसिक रूप से विक्षिप्त और 171 बेघर बच्चों के रूप में पहचाने गए।

इसी तरह 2020 में कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद यह आपरेशन चलाया गया और कुल 5,011 बच्चों को बचाया गया। अगले वर्ष 2021 में आरपीएफ (RPF) ने 11,907 बच्चों को बचाया। इसमें 9601 बच्चों की पहचान भागे हुए के रूप में हुई। जबकि 961 लापता, 648 बिछड़े हुए, 370 निराश्रित, 78 अपहृत, 82 मानसिक रूप से विकलांग और 123 बेघर बच्चों की पहचान हुई।

साल 2023 में आरपीएफ 11,794 बच्चों का जीवन बचाने में सफल रही। इनमें से 8916 बच्चे घर से भागे हुए थे। जबकि  986 लापता, 1055 बिछड़े हुए, 236 निराश्रित, 156 अपहृत, 112 मानसिक रूप से विकलांग और 237 बेघर बच्चे थे। आरपीएफ ने इन असुरक्षित बच्चों की सुरक्षा और उनकी अच्छी देखभाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बीते पांच माह में बरामद हुए 4607 बच्चे

इस वर्ष यानी 2024 के पहले पांच महीनों के दौरान अलग-अलग स्थानों से 4,607 बच्चों को बचाया है। जिसमें 3430 घर से भागे हुए बच्चे शामिल हैं। इस तरह के बच्चों कीपहचान कर उनके अभिभावकों से संपर्क किया जाता है और उन्हे सुरक्षित उनके अभिभावकों के सुपुर्द किया जाता है।

आरपीएफ के ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर बच्चों की पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है। 135 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्पडेस्क उपलब्ध है। आरपीएफ द्वारा मुक्त कराए गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति को सौंप दिया जाता है, इसके पश्चात जिला बाल कल्याण समिति बच्चों के माता-पिता से संपर्क करती है और  बच्चों को अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया जाता है।

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