पूर्वांचलराज्य

मानव जीवन में पूर्ण संत का सत्संग मिलना दुर्लभः संत रामपाल महाराज

भदोही (संजय सिंह). औराई तहसील के मवैया हरदोपट्टी में संतरामपाल महाराज के मासिक सत्संग का आयोजन किया गया। एलईडी स्क्रीन पर आयोजित वर्चुअल सत्संग में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सत्संग श्रवण किया।

सत्संग में संत रामपाल महाराज ने बताया कि मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है।  जो 84 लाख योनि भोगने के बाद कहीं एक बार मनुष्य जीवन मिलता है। संत रामपाल ने बताया कि मनुष्य जीवन में पूर्ण मोक्ष पाने के लिए पूर्ण गुरु अर्थात पूर्ण तत्वदर्शी संत होना अति आवश्यक है।

परमात्मा का विधान है, यदि गुरु धारण किए बिना नाम जाप की माला फेरते हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आप को संदेह हो तो अपने वेदों और पुराणों में प्रमाण देखें। परमात्मा का विधान है, जो सूक्ष्मवेद में कहा है- “कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, पूछों वेद पुराण”।

संत ने कह, गुरु भी पूर्ण होना चाहिए और उसे नाम उपदेश देने का अधिकार भी हो। पूर्ण संत की पहचान बताते हुए संत रामपाल  ने बताया कि श्रीमद्भ गवद्गीता के अध्याय 15, श्लोक एक में कहा गया है कि जो संत इस संसार रूपी पीपल के वृक्ष को मूल (जड़) से लेकर पत्तों तक सर्व अंगों को जानता है, वह पूर्ण तत्वदर्शी संत है।

सत्संग कार्यक्रम में सेवादार सत्येंद्र दास, हरिनरायन दास, उदयप्रताप दास, भारतेश्वर दास, विनोद दास, रामराज दास, हरिश्चंद्र दास, रमाशंकर दास, रिया दासी, तारा दासी, विनीता दासी, कुसुम दासी आदि मौजूद रहे।

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