ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदल सत्ताधारी दल ने लालगोपालगंज में रखी पराजय की बुनियाद!
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). नगर पंचायत लालगोपालगंज में सत्ताधारी दल का टिकट मिलते ही प्रत्याशी और उसके समर्थक चहक उठे। चारों तरफ खुशी का माहौल था। पार्टी प्रत्याशी ने भी मंदिर में माथा टेककर भगवान का आभार व्यक्त किया। समर्थकों और कार्य़कर्ताओं ने आतिशबाजी की, मिठाई बांटकर खुशियां साझा की। पर, यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई। क्योंकि चंद घंटे बाद ही टिकट बांटने के जिम्मेदार पदाधिकारियों की तरफ से एक दूसरी सूची जारी की गई, जिसमें पहले घोषित नाम को हटाकर किसी दूसरे के नाम की घोषणा कर दी गई।
नगर पंचायत लालगोपालगंज में चंद घंटे में प्रत्याशी का नाम बदलने का यह खेल 16 अप्रैल की शाम को खेला गया। हालांकि जिला इकाई की टीम के द्वारा इसे गलतफहमी करार दिया जा रहा है, जबकि इस गलतफहमी से स्थानीय स्तर पर एक ही पार्टी के लोग दो खेमे में बंटे नजर आ रहे हैं। भाजपा द्वारा 16 अप्रैल की शाम को नगर पंचायतों के प्रत्याशियों की सूची जारी की गई। महिला के लिए आरक्षित लालगोपालगंज में अध्यक्ष पद के लिए सुनीता देवी पत्नी जगदीश प्रसाद के नाम की घोषणा की गई। वर्ष 217 के चुनाव में भाजपा द्वारा सुनीता देवी के पति जगदीश प्रसाद को पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन आपसी तकरार में यह चुनाव भाजपा हार गई थी।
जैसे ही सुनीता देवी को प्रत्याशी बनाएजाने की जानकारी क्षेत्र में हुई, उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता खुशी से चहक उठे और जश्न मनाना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा के अन्य दावेदारों में बेचैनी बढ़ गई। इन्ही दावेदारों में एक दावेदार पूर्व चेयरमैन प्रदीप केसरवानी ने पूरे मामले को लेकर हाईकमान से बातचीत की और घटनाक्रम से अवगत कराते हुए अपने अभ्यर्थन के बारे में जानकारी ली।
बताया जाता है कि इस बातचीत के बाद भाजपा की तरफ से लालगोपालगंज के दूसरे प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी गई। दूसरी बार जिसका नाम घोषित किया गया, वह कोई और नहीं नगर पंचायत के चेयरमैन रह चुके प्रदीप केसरवानी की पत्नी विमला देवी का नाम था। जैसे ही इस बात की जानकारी सुनीता देवी के समर्थकों तक पहुंची, सारा जोश ठंडा पड़ गया।
पूर्व चेयरमैन प्रदीप केसरवानी कहते हैं कि उनकी सीट लखनऊ से स्वीकृत हो गई थी, लेकिन निचले स्तर पर गलतफहमी की वजह से प्रत्याशियों की सूची से उनकी पत्नी का नाम कट गया था। जिसे सुधारकर उनकी पत्नी के नाम के साथ जारी किया गया।
फिलहाल, आखिरी वक्त में सत्ताधारी दल के द्वारा प्रत्याशियों की अदला-बदली का खामियाजा किसे भुगतना पड़ता है, यह तो आने वाला समय ही बताए। यहां, उल्लेखनीय है कि इसी तरह की लड़ाई में पिछली बार के चुनाव में सत्ताधारी दल को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। साल 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी जगदीशप्रसाद को 4006 मत मिले थे, जबकि निर्दल प्रत्याशी के रूप में प्रदीप कुमार केसरवानी (मौजूदा प्रत्याशी के पति) ने 2637 मत हासिल किया था। इन दोनों की लड़ाई में निर्दल प्रत्याशी मुख्तार अहमद ने 4786 मत पाकर जीत हासिल कर ली थी।