श्रीराम-जानकी विवाह का प्रसंग सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). रामजानकी कुटी में चल रही श्रीराम कथा के छठवें दिन कथावाचक शिवमशरण शास्त्री ने श्रीराम-सीता के विवाह प्रसंग का मनमोहक वर्णन किया। आयोजत हो रहे रामकथा के छठे दिन राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
अयोध्या से आए संत शिवमशरण शास्त्री ने श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा, राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन माता सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। सीताजी के द्वारा शिवधनु को उठाकर अन्यत्र रखने की जानकारी होने पर राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि वह धनुष किसी से उठता नहीं था। इसके बाद राजा ने प्रतिज्ञा की, कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा।
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उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा-महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाई तो धनुष टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे।
इस क्रम में शिवमशास्त्री महराज ने क्षे्त्रीय संगीत की धुन पर भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने को विवश कर दिया। कथा की समाप्ति पर शाम सात बजे मुख्य यजमान ने व्यासपीठ की आरती उतारी। इस अवसर पर पूर्व शिक्षक गिरधारी लाल द्विवेदी, ग्राम प्रधान लालापुर शंकर लाल पांडेय, गोइसरा प्रधान वीरेंद्र पांडेय, पूर्व शिक्षक बंशीधर द्विवेदी, पंकज ओझा, अखिलेश मिश्र, रामजानकी जनकल्याण समिति अध्यक्ष शिवेंद्र पांडेय, राजेश पांडेय, मुनेश्वर पांडेय, राजू पांडेय, ननका पंडित, दीपक पांडेय, आशीष मिश्र, निखिल, यश पांडेय, आर्यन पांडेय मौजूद रहे।
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