संगमनगरी में गंगा-यमुना लाल निशान के पार, याद आ रहा 2013 का मंजर
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). सहायक नदियों और बांध से छोड़े गए पानी से उफनाई गंगा और यमुना ने आज दोपहर खतरे का निशान पार कर लिया। लगभग पौने बारह बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर गया, इसके चंद घंटे बाद यमुना नदी ने भी खतरे के निशान को छू लिया। डेंजर लेवल के क्रास करने के बाद बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। बढ़ते जलस्तर से कछार में पानी का फैलाव बढ़ता जा रहा है। झूंसी की तरफ बदरा-सोनौटी समेत कई अन्य गांवों के संपर्क मार्ग जलमग्न हो चुके हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में यमुना के साथ-साथ गंगापार में गंगा का पानी तेजी से आबादी की तरफ बढ़ रहा है। कछार क्षेत्र में खेती पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। शुक्रवार को शाम छह बजे फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 84.95 मीटर, छतनाग में 84.26 मीटर और नैनी में (यमुना) 84.87 मीटर पहुंच गया था। यहां पर प्रत्येक दो घंटे में फाफामऊ में चार सेमी, छतनाग में आठ सेमी और नैनी में छह सेमी जलस्तर बढ़ रहा है।
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गुरुवार रात जलस्तर में तेजीसे इजाफा हो रहा है। बीती रात शहर के कई मोहल्लों में पानी का स्तर काफी ऊपर पहुंच गया था। आज सुबह से ही प्रभावित मोहल्लों के लोग सुरक्षित ठौर की तलाश में लगे रहे। हालांकि बहुत सेपरिवारों अपने मकान की छतों पर शरण ली है। जिला प्रशासन ने इस हालात से निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बाढ़ चौकियों और राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने गुरुवार की भांति आज भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। बाढ़ से निपटने के लिए लगाई गई टीमें पूरी तरह से एलर्ट मोड पर हैं।
गुरुवार की शाम से ही राहत शिविरों में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी थी। शुक्रवार दोपहर तक शहर में चलाए जा रहे राहत शिविरों में ढाई हजार से अधिक लोग शरण लेने पहुंच चुके थे। गंगा और यमुना में आई बाढ़ से जिले की तकरीबन तीन लाख की आबादी प्रभावित है। शहरी क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक मोहल्ले और 100 से अधिक गांव पूरी तरह से बाढ़ की जद में हैं। सैकड़ों मकान पूरी तरह से पानी से घिरे हुए हैं। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री व्यवस्थाओं की स्वयं मानीटरिंग कर रहे हैं।
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जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, दो कंपनी पीएसी के साथ जल पुलिस लगाई गई है। इसके अतिरिक्त सिविल डिफेंस के स्वयंसेवी भी बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालने के लिए नावों और स्टीमर की मदद ली जा रही है। राहत शिविरों में मेडिकल टीम तैनात है।
याद आ रहा 1978 और 2013 का मंजर: गंगा और यमुना का बढ़ता जलस्तर लोगों को 1978 और वर्ष 2013 की बाढ़ की याद दिला रहा है। प्रयागराज में (तब इलाहाबाद) वर्ष 1978 की बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। लोग बताते हैं कि उस समय बाढ़ का पानी शहर के पॉश इलाकों में काफी अंदर घुस गया था। उस बाढ़ के बाद से लोगों को वर्ष 2013 में भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था।
1978 में फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 87.96 मीटर, छतनाग में 88.03 मीटर दर्ज किया गया था। जबकि नैनी में यमुना का जलस्तर 87.99 मीटर जलस्तर रिकार्ड हुआ था। इसके बाद वर्ष 2013 में आई बाढ़ ने लोगों को 1978 का नजारा दिखाया था। 2013 में फाफामऊ में 86.82, छतनाग में 86.04 और नैनी में 86.60 सेंटीमीटर जलस्तर रिकार्ड किया गया था।
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रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार ठप: गंगा में आई बाढ़ की वजह से तेलियरगंज में स्थित रसूलाबाद श्मशान घाट पूरी तरह से जलमग्न होगया है। यहां पर श्मशान घाट की तरफ जाने वाली सड़क पर काफी ऊपर तक पानी पहुंच गया है। यहां निचले इलाके में बने आसपास के मकानों का निचला तल पानी से भर गया है। ज्यादातर परिवारों ने छतों पर शरण ले रखी है तो ऐसे परिवार, जो एकदम निचले एरिया में आबाद थे, उन्होंने राहत शिविरों को ठौर बना रखा है। रसूलाबाद घाट के पूरी तरह से जलमग्न हो जाने के कारण लोग मजबूरी में इलेक्ट्रिक शव दाह गृह की तरफ रुख कर रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए यहां आने वाले लोगों को लौटा दिया जा रहा है। दूसरी तरफ फाफामऊ में भी अंतिम संस्कार केलिए जगह नहीं बची है। दारागंज घाट पर भी अंतिम संस्कार करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जैसे-जैसे पानी ऊपर चढ़ता जाएगा, मुश्किलें और बढ़ती जाएंगी।