पक्की छत के लिए दो ईंट नहीं जोड़वा पा रही राजकली, SDM ने दिया कार्रवाई का आदेश
जमीन पर नजर गड़ाए बैठे हैं दबंग, पन्नी तानकर सर्दी, गर्मी और बरसात के दिन काटना बनी मजबूरी
प्रयागराज (राहुल सिंह). थाने और तहसील पहुंचने वाली शिकायतों में आधे से अधिक मामले राजस्व के होते हैं। स्थानीय कर्मियों और विभागीय मिलीभगत के कारण राजस्व के मामले काफी समय तक अनिस्तारित रहते हैं और निस्तारण होने तक मिलने वाला न्याय भी महत्वहीन हो जाता है। यमुनापार की कोरांव तहसील में एक ऐसी ही शिकायत 24वीं बार की गई है। यहां, समझने वाली बात यह है कि जब तक समाधान करने वाला विभाग और जिम्मेदार अधिकारी नहीं चाहेगा, तब तक समस्या बरकरार रहेगी और देवरिया जैसे कांड होते रहेंगे।
मामला कोरांव के खजुरी खुर्द गांव का है। यहां के रहने वाले सुखलाल विश्वकर्मा पुत्र स्व. मोतीलाल ने तहसील प्रशासन से शिकायत कर अवगत कराया है कि उनकी मां को प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ मिला है, लेकिन कुछ दबंग किस्म के लोग आवास बनने में अड़ंगा डाल रहे हैं। सुखलाल विश्वकर्मा ने बताया है कि पूर्व में की गई शिकायतों पर एसडीएम कोरांव ने मामले की जांच करवाई।
जांच आख्या में ग्राम खजुरी खुर्द की आराजी संख्या 285, रकबा 0.017 हेक्टेयर आबादी के खाते में दर्ज है। उपरोक्त भूखंड पर सुखलाल पुत्र स्व. मोतीलाल व उनके पूर्व पिछले छह दशक से रहते आ रहे हैं। भूखंड पर खपरैल का कच्चा मकान है, जो अब काफी जर्जर हो चुका है और काफी हिस्सा ढह भी गया है। कच्चा मकान जर्जर होने के कारण सुखलाल की मां राजकली को प्रधानमंत्री आवास योजना कालाभ दिया गया है, लेकिन कुछ दबंग किस्म के लोग आवास बनाने में अड़ंगेबाजी कर रहे हैं।
एसडीएम कोरांव की जांच आख्या में यह भी उल्लेखित है कि आराजी संख्या 286 मेंबैनामा से आए महेंद्र आदि के द्वारा प्रधानमंत्री आवास नहीं बनने दिया जा रहा है। जांच आख्या के आधार पर एसडीएम कोरांव ने तहसीलदार और सहायक पुलिस आयुक्त मेजा को नियमानुसार कार्यवाही कराते हुए कृत कार्य़वाही से अवगत कराने का निर्देश दिया है।
सुखलाल का आरोप है कि उसने दो बार मकान बनवाने की कोशिश की, लेकिन दबंगों ने मारपीट कर उसका निर्माण गिरवा दिया। उसे जान से मारने कीकोशिश की गई। मामले में कोरांवपुलिस ने सुखलाल की तहरीर पर दो बार मुकदमा भी लिखा है। दोनों ही मामलों में कोरांव पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। अब देखना यह है कि लंबे समय से दर-दर की ठोकरें खा रहे सुखलाल को कब पक्की छत नसीब होपाती है।