प्रयागराज (आलोक गुप्ता). दीवानी मामलों के न्यायाधीश के चैंबर में घुसकर वादकारियों पर हमला करने और जज से दुर्व्यवहार के मामले में दस वकीलों पर बड़ी कार्रवाई की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दस अधिवक्ताओं के जिला अदालत परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है, साथ हीउन्हे आपराधिक अवमानना की नोटिस भी जारी की गई है।
अदालत ने पुलिस कमिश्नर से संबंधित अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस की जानकारी भी तलब की है, साथ ही अदालत परिसर की सुरक्षा में जिला जज के आदेशानुसार सुरक्षा बल तैनात करने का भी आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने जिला जज द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट पर संदर्भित अवमानना रिफरेंस की सुनवाई में दिया है। अदालत ने कहा- इस घटना को अत्यंत गंभीरता के साथ देखने की जरूरत है। अदालत में इस प्रकार के हिंसक व्यवहार से यह व्यवस्था एक तरह से ध्वस्त हो जाएगी। यह अदालत इस तरह की घटनाओं का मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकती।
इससे पहले 30 अप्रैल को अदालत ने दो अधिवक्ता रणविजय सिंह व मोहम्मद आसिफ से जरिए नोटिस स्वष्टीकरण तलब किया था। अदालत ने इन दोनों अधिवक्ताओं के जिला अदालत परिसर में प्रवेश पर पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है। अदालत ने जिला जज से घटना की सीसीटीवी फुटेज देखने और अवमानना करने वालों की संलिप्तता पर रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई। इसमें दस अधिवक्ताओं के नाम शामिल हैं।
गौरतलब है कि जिला अदालत, प्रयागराज में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल केस की सुनवाई चल रही थी। इसी दरम्यान अधिवक्ता रणविजय सिंह भीड़ के साथ कोर्ट रूम में आए और पीठासीन अधिकारी पर एक अन्य केस के तत्काल सुनवाई का दबाव डाला। एक वादकारी और उसकी पत्नी से मारपीट की। अपने बचाव में वादकारी पीठासीन अधिकारी के चैंबर में गए तो वहां भी मारा पीटा।
पीठासीन अधिकारी वहां से सीजेएम के चैंबर में चले गए और एसीपी व एसएचओ को सूचित किया। इसके अलावा घटना की रिपोर्ट जिला जज को दी। जिला जज ने वह रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) को प्रेषित की और कार्यवाही की सिफारिश की। इस पर कोर्ट ने अवमानना केस दर्ज कर यह आदेश दिया है।
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