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जब तापमान 37 के पार चला जाए तो हीटवेव से बचाव को यह उपाय अपनाएं

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). जब भी अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच रहा हो, अर्थात पारा 40-41 को छू रहा हो तो यह खतरे की घंटी है। यही स्थिति हीट वेव अथवा लू कहलाती है, जब अत्यधिक गर्म वातावरण में चलने वाली हवाएं भी शरीर को चुभें। हीटवेब से बचाव को लेकर जनसामान्य के बीच जागरूकता अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है।

तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के नजदीक पहुंच जाने की वजह से इन दिनों प्रयागराज भी भीषण गर्मी की चपेट में है। संबंधित विभागों को एक्टिव कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने भीषण गर्मी, लू से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है।

जिलाधिकारी ने कहा, गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें। खिड़कियों व दरवाजों पर परदे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले।

बच्चों और पालतू जानवरों को कभी भी बंद वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक संभव हो घर में ही रहें और खुले में जाने से बचें। जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करे। मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें।

घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छाछ, मट्ठा, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना का प्रयोग करें। जून के मध्य तक अधिक तापमान रहने की संभावना है। ऐसे में लोगों को हीटवेब से बचाव के लिए आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए।

शरीर में नमक-पानी की कमी खतरनाक

गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।

इन लक्षणों से करें लू लगने की पहचान

गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना  अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है। एडीएम (वित्त) विनय कुमार सिंह ने जनपदवासियों से एहतियात बरतने की अपील की है।

हीट वेव से इन्हे ज्यादा बचाव की जरूरत

  • पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं।
  • ऐसे व्यक्ति जो कि सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।
  • शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति और जिन्हे सोने के लिए कम वक्त मिलता हो।
  • त्वचा संबंधित रोग जैसेः- सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति।
  • पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी की अनुकूलनता का अभाव भी लू की चपेट में पहुंचा सकता है।
  • आपदा संबंधी सहायता के लिए निम्न नम्बरो पर सम्पर्क कर सकते है।
  • लू लगने पर एंबुलेंस 108, पुलिस 112 या फिर राहत आयुक्त कार्यालय 1070 (टोल फ्री) पर फोन मिलाएं।
  • जिला इमरजेंसी आपरेशन सेंटर प्रयागराज कंट्रोल रूम के नंबर 0532- 2641577,  0532-2641578 काल करें।
  • प्यास न लगी हो तब भी पर्याप्त पानी का सेवन करें। हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस, लस्सी, नींबू पानी, छाछ का इस्तेमाल करें।
  • हल्के वजन, हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़े पहनें। छतरी या फिर गमझा, टोपी का उपयोग करें। हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
  • पूर्वाह्न 11 बजे से शाम चार बजे तक आवश्यक न हो तो घर से बाहर न निकले अगर निकलना पड़े तो चेहरा और सिर ढककर निकलें।
  • नियोक्ता अपने यहां कार्य करने वाले श्रमिकों का ध्यान रखें। कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं। सीधे धूप से बचने को कहें।
  • अति पारिश्रमिक वाले कार्यों ठंडे समय में करवाएं। बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति में वृद्धि करें।
  • गर्भवती श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हें चिकित्सा देखभाल की अचानक जरुरत हो सकती है, उनका अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

वृद्ध, शिशु और पशुओं की देखभाल भी जरूरी

  • तेज गर्मी, खासतौर से जब बुजुर्ग अकेले हों, तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जांच करें। ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो।
  • यदि वे गर्मी से बैचेनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें, शरीर को गीला रखें, नहलाएं। गर्दन और बगल में गीला तौलिया रखें।
  • उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें। शिशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
  • यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार है।
  • बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
  • जहां तक संभव हो, पशुओं को तेज गर्मी के दौरान घर के भीतर रखें। घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो छायादार स्थान में रखें।
  • जानवरों को किसी बंद में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है। ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें।
  • पीने के पानी के दो बाउल रखें, ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वह पानी पी सकें। पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें।

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