Ex MLC सीवी इनिश को अदालत से झटकाः एफआर रद्द, एसीपी को फिर से जांच का आदेश
बहू ने लगाया है करोड़ों के गबन का आरोप, थाना औद्योगिक क्षेत्र ने 2020 में दर्ज किया था मुकदमा
जिला न्यायालय ने कहा- झूठे आधार पर प्रस्तुत रिपोर्ट किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की जा सकती
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). शैक्षिक संस्था सोसाइटी फार द प्रमोशन आफ दी एजुकेशनल एडवंचर स्पोर्ट्स एंड कंसर्वेशन आफ इन्वायरमेंट (फेयरीडेल इस्टेट, ब्यौहरा, औद्योगिक क्षेत्र) के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पर लगाए गए गबन के आरोपों की जांच रिपोर्ट (FR) को अदालत निष्पक्ष नहीं माना है। लगभग ढाई वर्ष तक चली विवेचना के बाद दाखिल की गई फाइनल रिपोर्ट को अपर्याप्त मानते हुए अदालत ने कहा, आनन-फानन में झूठे आधार पर दाखिल की गई अंतिम रिपोर्ट किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जा सकता। लिहाजा फाइनल रिपोर्ट को निरस्त (FR quashed) किया जाता है और एसीपी (क्राइम ब्रांच) को फिर से जांच का आदेश दिया जाता है।
इस मामले में शैक्षिक संस्था के अध्यक्ष पूर्व एमएलसी सीवी इनिश, सचिव मिशेल इनिश और कोषाध्यक्ष डोरिंडा इनिश के खिलाफ अगस्त 2020 में थाना औद्योगिक क्षेत्र पुलिस द्वारा 409, 406, 471, 468, 467, 420, 419 के तहत केस दर्ज किया गया था और तहरीर संस्था की कार्यकारिणी सदस्य शिप्ली मिचेल इनिश पत्नी स्व. मिचेल इनिश ने दी थी।
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शिल्पी मिचेल इनिश ने आरोप लगाया था कि संस्था के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष ने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों का घोटाला किया गया। मेसर्स प्रयाग सोलुशन और मोसर्स फेयरीडील फर्म नामक कागजी फर्म खड़ी करके रेवड़ी तरह का लाखों वेतन बांटा गया। संस्था परिसर में आशीष मेहरा क्रिकेट एकेडमी से होने वाली आय का बंदरबांट किया गया। उक्त घोटाले के संबंध में सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसायटीज एंड चिट्स के द्वारा स्वतंत्र संस्था ‘मनीषधर एंड कंपनी’ से जांच करवाई गई।
मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने बताया कि थाना औद्योगिक क्षेत्र के वाद संख्या 223/2020 में विवेचक के द्वारा कदम-कदम पर घोर लापरवाही की गई। विवेचक द्वारा बिना सम्यक जांच के ही अपनी तरफ से मनमानी रिपोर्ट लगा दी गई। जिन बिंदुओं को आधार बनाकर उक्त मामले की स्वतंत्र संस्था (मनीषधर एंड कंपनी) के द्वारा जांच करवाई गई और केस दर्ज करवाया गया, उन बिंदुओं को छुआ भी नहीं गया और न ही वादी मुकदमा या जांच करने वाली संस्था से मिलने की कोशिश की गई।
आरोपीपक्ष को बचाने की कोशिश में विवेचक ने नियमों को दरकिनार करते हुए मनगढ़ंत बयान दर्ज करते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। फिलहाल पूरे मामले की संजीदगी को देखते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अंतिम आख्या को निरस्त करते हुए पुनः जांच का आदेश दिया है, साथ ही विवेचना समाप्त होने तक पत्रावली को अभिलेखागार में जमा करवाने का आदेश दिया है।
महत्वपूर्ण पदों पर पति-पत्नी काबिजः दूसरी तरफ वादी मुकदमा शिल्पी मिचेस इनिश पत्नी स्व. मिचेल अनिश ने आरोप लगाया है कि उक्त सोसायटीज के महत्वपूर्ण पदों पर एक ही परिवार के लोग (पति-पत्नी भी) काबिज हैं, जो अपने आर्थिक लाभ के लिए हर तरह से मनमानी पर उतारू हैं। शिल्पी इनिश ने कहा, पद का दुरुपयोग करते हुए सोसायटी के दस्तावेजों में हेराफेरी की गई और करोड़ों रुपये इधर से उधर कर दिए गए। आरोपित है कि विवेचक ने एफआर में यह भी बताने की जहमत नहीं उठाई कि मेसर्स प्रयाग सोलुशन और मेसर्स फेयरडील फर्म किस प्रकार की संस्था हैं और उनको रोल क्या है। विवेचक ने उस आडिट रिपोर्ट और उसके मुख्य बिंदुओं को भी दरकिनार कर दिया गया, जो आडिट हाईकोर्ट के आदेश पर स्वतंत्र संस्था द्वारा करवाई गई और उसी आडिट रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने केस फाइल किया। शिल्पी मिचेल इनिश का आरोप है कि संस्था अध्यक्ष सीवी इनिश, डोरिंडा इनिश द्वारा वेतन निकाले जाने का कोई अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया। संस्था की संपत्ति पर निर्माण करवाकर उसका किराया डकारा जा रहा है।