कोरांव में लेखपालों का अकाल, 114 के सापेक्ष सिर्फ 31 की नियुक्ति
प्रयागराज (राहुल सिंह). राजस्व एक ऐसा महकमा है, जिसकी शिकायतों की लिस्ट सबसे लंबी होती है। थाना दिवस, समाधान दिवस के अलावा जनपद मुख्यालय पर विभिन्न अफसरों केजनता दर्शन में आने वाली सर्वाधिक शिकायतें राजस्व विभाग की ही होती हैं। बावजूद इसके शासन-प्रशासन की तरफ से इस महकमे की दशा और दिशा को सुधारने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
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कोरांव तहसील जनपद के दक्षिणांचल में और मिर्जापुर जनपद की सीमा से लगती है। इसका एरिया भी काफी बड़ा है। पहाड़ी क्षेत्र से घिरे इस इलाके में लेखपाल के कुल 114 पद बनाए गए हैं। यदि इतने लेखपाल हों तो क्षेत्र की राजस्व से संबंधित शिकायतों, मामलों का निस्तारण तेजी से किया जा सकता है, लेकिन 114 के सापेक्ष कोरांव तहसील क्षेत्र में सिर्फ 31 लेखपाल ही नियुक्त हैं। इसमें से भी दो लेखपाल निलंबित चल रहे हैं।
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मौजूदा समय में मौके पर कुल 29 लेखपाल ही सक्रिय हैं। इन पर एक साथ कई-कई गांवों का प्रभार लादा गया है। इसी वजह से यदि गांव के किसी व्यक्ति को खसरा-खतौनी के लिए या फिर वरासत के लिए लेखपाल से मिलना हो तो उसे महीनों इंतजार करना पड़ता है। लेखपालों की कमी के बावजूद दो लेखपालों को स्थायी रूप से तहसील कार्यालय में लगाया गया है। लेखपालों की कम संख्या को लेकर तहसीलदार कोरांव से संपर्क किया गया, लेकिन बात नहीं हो पाई।