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वज्रपात से हर साल जाती है 300 लोगों की जान, प्रयागराज, सोनभद्र और मिर्जापुर सर्वाधिक प्रभावित

वज्रपात सुरक्षा एवं जागरुकता कार्यक्रम का आपदा प्रबंधन के उपाध्यक्ष और डीएम ने संयुक्त रूप से किया उद्घाटन

प्रदेश के सर्वाधिक प्रभावित जनपदों के 4000 अधिकारियों को प्रशिक्षित और जागरुक करने का लक्ष्य निर्धारित

प्रयागराज (आलोक गुप्ता).  वज्रपात (Lightning) के प्रति सबसे संवेदनशील तीन जिलों सोनभद्र (Sonbhadra), मिर्जापुर (Mirzapur ) एवं प्रयागराज (Prayagraj) में सरकारी अधिकारियों और आमजन की क्षमता को विकसित करने के उद्देश्य से बुधवार को एक जागरुकता कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण  (UPSDMA) ने “वज्रपात सुरक्षा जन जागरूकता कार्यक्रम” को निष्पादित करने के लिए टाइम्स सेंटर फॉर लर्निंग लिमिटेड के तकनीकी सहयोग से पायलट प्रोजेक्ट के तहत अगले 2-3 महीनों में सोनभद्र, मिर्जापुर एवं प्रयागराज में जनपद, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित कर 45 प्रखंडों के लगभग 4000 अधिकारियों और सबसे ज्यादा प्रभावित जनपद सोनभद्र के 637 गावों में वज्रपात के प्रति जन-जागरूकता का लक्ष्य रखा है।

वज्रपात सुरक्षा जन जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन बुधवार को संगम सभागार में लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही (अति विशिष्ट सेवा मेडल) उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री द्वारा किया गया। इस समारोह में तीनों जिलों के एडीएम (वित्त), जो कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी भी होते हैं, उपस्थित रहे।  इस कार्यशाला में प्रयागराज जिले के सभी एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, एनटी, जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, सीएफओ, बीडीओ समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

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अध्यक्षता करते हुये मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही ने कहा कि वज्रपात अवश्यंभावी है और इसे घटित होने से कदापि नहीं रोका जा सकता है, परंतु व्यापक पैमाने पर जन-जागरूकता फैलाकर जन-धन की हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के क्रम मे उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कार्यदायी संस्था के सहयोग से उत्तर प्रदेश के तीन सर्वाधिक संवेदनशील जनपदों सोनभद्र, मिर्जापुर और प्रयागराज में पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे “वज्रपात सुरक्षा एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम” को संचालित करने जा रहा है।

लेफ्टिनेंट जनरल शाही ने कहा, उत्तर प्रदेश विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं, जिसमं बाढ़, भूकंप, लू, शीतलहर, आंधी-तूफान, चक्रवात, आगजनी एवं वज्रपात प्रमुख है। पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश मे वज्रपात की घटनाएं तेजी के साथ बढ़ी हैं, इसके लिए जलवायु परिवर्तन काफी हद तक जिम्मेदार है। पिछले तीन वर्षों में वज्रपात के कारण उत्तर प्रदेश में महिलाओं, बच्चों एवं खेतों में काम करने वाले मजदूर एवं किसानों को अपनी जान गवानी पड़ी है।

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उन्होंने कहा, प्रत्येक वर्ष वज्रपात के कारण प्रदेश औसतन 300-350 जन-हानि (Lightning kills) और हजारों मवेशियों की मृत्यु देखी जा सकती है। इन जन-हानियों के पीछे जागरूकता की कमी, तथ्यों की सही जानकारी का अभाव, पूर्व चेतावनी की कमी, पूर्व चेतावनी का प्रभावी प्रसार एवं समय पर पालन नहीं किया जाना प्रमुख कारण हैं। वज्रपात के नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक जन-हानि पेड़ों के नीचे शरण लेने के दौरान हुई हैं जबकि 20-25 प्रतिशत जनहानि खुले मैदान/खेतों मे कृषि कार्य करने के दौरान या खुले वाहन जैसे साइकिल, ट्रैक्टर से यात्रा करते हुए घटित हुई है।

जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने कहा कि जिला प्रशासन के लिए आपदा प्रबंधन हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। जनपद में होने वाली वज्रपात की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रत्येक वर्ष बाढ़ सुरक्षा योजना बनायी जाती है, उसी प्रकार वज्रपात से जनहानि को रोकने के लिए भी योजना बनाई जाएगी। जिलाधिकारी ने एडीएम (वित्त) को वज्रपात सुरक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रम के तहत होर्डिंग्स लगवाने के निर्देश दिए। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, सिविल डिफेंस और टाइम्स ग्रुप को यह कार्यक्रम आयोजित करवाने के लिए धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वरिष्ठ सलाहकार ब्रिगेडियर पीके सिंह, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की परियोजना निदेशक कनीज फातिमा ने भी संबोधित किया। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगदंबा सिंह ने जिला प्रशासन और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कि तरफ से सभी का आभार व्यक्त किया।

तीन चरणों में प्रभावित जनपदों में चलेगा अभियानः कार्यक्रम में तकनीकी सहयोगी टाइम्स सेंटर फार लर्निंग लिमिटेड के रिर्सोस पर्संस के द्वारा वज्रपात के कारण, लक्षण, जोखिम, संवेदनशीलता, रोकथाम के उपाय, शमन एवं तैयारी के उपाय, वज्रपात से सुरक्षा उपाय, पूर्व चेतावनी, संचार व्यवस्था, चेतावनी के प्रसार के संबंध में दामिनी एप की भूमिका एवं महत्व के बारे में बताया गया। बताया कि उक्त पायलट प्रोजेक्ट को 3 चरणों में पूरा किया जाएगा। प्रथम चरण में 3 सबसे संवेदनशील जनपदों प्रयागराज, मिर्जापुर एवं सोनभद्र में प्रत्येक जिले मे 2 एक दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें जिला स्तर के प्रत्येक जिले के लगभग 150 प्रमुख अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

द्वितीय चरण में ब्लॉक स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी जिसमें ब्लॉक स्तर के सभी अधिकारी, ग्राम सचिव, लेखपाल इत्यादि को प्रशिक्षित किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन जनपदों के 45 ब्लाकों मे 3000 से अधिक अधिकारियों के प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। इसी दौरान जन-जागरूकता अभियान के तहत तीनों जनपदों के प्रत्येक गावों मे पब्लिक अड्रेस सिस्टम के मदद से तृतीय चरण में सबसे प्रभावित सोनभद्र के सभी 637 ग्राम पंचायतों में कार्यशालाएं की जाएंगी।

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